बिजनेस
जीएसटी : रसोई गैस सिलेंडर हुआ महंगा, वाणिज्यिक एलपीजी सस्ता
नई दिल्ली, 3 जुलाई (आईएएनएस)| हर तरह के एलपीजी को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अधीन लाने के साथ ही आने वाले माह से आम नागरिकों को घरेलू एलपीजी सिलिंडर के लिए अब अधिक कीमत चुकानी होगी। एक जुलाई से देशभर में लागू हो चुके जीएसटी के तहत चूंकि पेट्रोलियम को नहीं रखा गया है, लेकिन केंद्र सरकार ने उसी दिन स्पष्ट कर दिया था कि घरेलू और वाणिज्यिक एलपीजी जीएसटी के तहत कर के दायरे में होगा, जो अब जम्मू एवं कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में प्रभावी हो चुका है।
एपीजी को सबसे निचले स्लैब पांच फीसदी कर के तहत रखा गया है।
जीएसटी लागू होने से पहले अधिकतर राज्य एलपीजी पर कर नहीं लगाते थे, जबकि कुछ राज्य 2-4 फीसदी के बीच वैट लगाते थे। वहीं घरेलू एलपीजी पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क नहीं लगता था।
अब जीएसटी लागू होने के बाद जिन राज्यों में जीएसटी पर कोई कर नहीं था, वहां प्रति सिलिंडर एलपीजी की कीमत 12 से 15 रुपये बढ़ जाएगी।
वहीं जीएसटी लागू होने के बाद वाणिज्यिक एलपीजी की कीमत घट गई है, क्योंकि इसे जीएसटी के तहत 18 फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया है।
इससे पहले, वाणिज्यिक एलपीजी पर 22.5 फीसदी कर लगाया जाता था, जिसमें उत्पाद शुल्क के रूप में आठ फीसदी और 14.5 फीसदी का वैट शामिल था।
जीएसटी लागू होने से पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जहां वाणिज्यिक एलपीजी का एक सिलिंडर 1,121 रुपये में मिलता था, वहीं जीएसटी लागू होने के बाद अब यह 1,052 रुपये में मिलेगा।
वाणिज्यिक एलपीजी को जीएसटी के तहत 18 फीसदी के टैक्स स्लैब में रखने का मतलब है कि ऑटो रिक्शा वालों के लिए भी एलपीजी ईंधन सस्ता हो जाएगा।
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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