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बिजनेस

टाटा मोटर्स में ‘बॉसगीरी’ के दिन लदे, सबसे अनूठे सिस्टम की शुरुआत

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नयी दिल्ली। देश की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स में अब कोई ‘बॉस’ नहीं होगा। रेवेन्यू के मामले में देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी टाटा मोटर्स ने अपने सभी कर्मचारियों के पदनाम को समाप्त करने का ऐलान किया है। यह निर्णय कंपनी के अंदर रचनात्मक माहौल पैदा करने और टीम वर्क को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।

कंपनी ने अपने कर्मचारियों को जारी किये गये सर्कुलर में कहा कि इस कदम से वह पदनाम और पदानुक्रम की विचारधारा से मुक्त हो सकेंगे। कंपनी के एक वरीय अधिकारी ने कहा कि इससे टाटा मोटर्स के 10 हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे। कंपनी द्वारा समाप्त किए गए पदों में जनरल मैनेजर, सीनियर जनरल मैनेजर, डेप्युटी जनरल मैनेजर, वाइस प्रेजिडेंट, सीनियर वाइस प्रेजिडेंट जैसे महत्वपूर्ण पद भी हैं।

नए सिस्टम के तहत टीम के सभी मैनेजर्स को ‘हेड’ का दर्जा दिया जाएगा। उनके नाम के बाद उनके विभाग का नाम दिया जाएगा, यानी मैनेजर्स अब एक तरह से टीम हेड के रूप में जाने जाएंगे। इसके अलावा, सबसे निचले स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों के नाम के साथ उनका विभाग जुड़ा होगा।

टाटा मोटर्स में चीफ एचआर गजेंद्र एस. चंदेल ने कहा, ‘एंप्लॉयीज से ज्यादा संख्या पदों की हो चुकी थी। इसलिए फंक्शन की इस विसंगति को हमने समाप्त करने का फैसला लिया।’ कंपनी को उम्मीद है कि इस फैसले से उसे कार्य संस्कृति सुधारने में मदद मिल सकेगी।

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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