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टीचर ने दी छात्रा को ऐसी खौफनाक सजा, प्राइवेट पार्ट में घुसाई पेंसिल

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इलाहाबाद। प्रतापगढ़ में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में पिटाई करने का एक शर्मनाक मामला सामने आया है। स्‍कूल की दो टीचर के खिलाफ एक छात्रा के परिवारीजनों ने थाने में तहरीर देकर आरोप लगाया है कि बेटी की पिटाई के बाद उसके प्राइवेट पार्ट में पेंसिल घुसाई गई।

ऐसे घिनौने मामले के थाने पहुंचने पर  पर हड़कंप मच गया। आलाधिकारियों को तत्काल सूचना देते हुए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी मामले के बारे में सूचित किया गया है।

घटना प्रतापगढ़ के फतनपुर रामापुर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की है। यहां कक्षा 7 में पढ़ने वाली छात्रा के साथ परिवारीजन फतनपुर थाने पहुंच गए। यहां तहरीर देते हुए बताया कि विद्यालय की दो टीचरों ने पहले उसे जमकर पीटा और फिर उसके कमर के नीचे के प्राइवेट पार्ट में पेंसिल घुसा दी।

इससे वह बिलबिला गई और घायल हो गई। आक्रोशित परिवारीजनों ने स्कूल के बाहर हंगामा करते हुए कार्रवाई की मांग की। कुछ देर पहले बीएसए और उनकी टीम भी जांच पड़ताल के लिए स्‍कूल पहुंच गई।

प्रतापगढ़, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, प्राइवेट पार्ट, कस्तूरबा, छात्रा

गौरतलब है कि पूर्व में भी कई आवासीय विद्यालय में छात्राओं को पीटने और उनके उत्पीड़न की खबरें आती रही हैं, लेकिन यह पहली बार है जब इस तरह से अमानवीय क्रूरता की बात सामने आई है। हालांकि विद्यालय की वार्डेन सुमन सिंह ने बताया कि आरोप पूरी तरह से गलत हैं।

छात्रा ने कई बच्चियों के साथ गलत हरकत की थी। इसकी शिकायत पर उसे सजा दी गई। छात्रा की मां को बुलाकर भी जानकारी दी गई थी। अब इसे गलत तरीके से तूल दिया जा रहा है।

वहीं आरोपित टीचरों का कहना है कि कुछ छात्राएं आपस में गलत हरकत कर रही थीं। जब उनसे कड़ाई से पूछताछ कर फटकारा गया तो आरोप लगाने वाली बच्ची का नाम दूसरी छात्राओं ने बता दिया। इस पर उसे तगड़ी डांट लगाई गई। तब उसने इसे अलग रंग दे दिया।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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