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डेंगू के बारे में भ्रांतियां और तथ्य
नई दिल्ली| जिस तरह से डेंगू ने दहशत फैला रखी है, इससे जुड़ी भ्रांतियों और तथ्यों के बारे में जागरूकता फैलाना बेहद आवश्यक है।
प्रमुख भ्रांतियों को दूर करते हुए आईएमए के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया, “डेंगू के मामले अगले एक महीने तक आते रहेंगे और इसको लेकर दहशत और अव्यवस्था फैलाने की बजाए हमें इसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाने और इसके रोकने के तरीकों के लिए सही समय पर कदम उठाने चाहिए।”
उन्होंने कहा कि सभी को यह बात याद रखनी चाहिए कि केवल एक प्रतिशत मामलों में डेंगू जानलेवा साबित हो सकता है। डेंगू के ज्यादातर मामलों का इलाज ओपीडी में किया जा सकता है, अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती।”
भ्रांतियां और तथ्य :
भ्रांति : डेंगू की महामारी फैल चुकी है।
तथ्य : फिलहाल दिल्ली में डेंगू फैला हुआ है लेकिन यह महामारी के स्तर तक नहीं पहुंचा है।
भ्रांति : डेंगू के सभी मामले एक जैसे होते हैं और सभी का इलाज भी एक समान होता है।
तथ्य : डेंगू को दो श्रेणियों डेंगू बुखार और गंभीर डेंगू में बांटा जा सकता है। अगर मरीज में कैपलरी लीकेज हो तो उसे गंभीर डेंगू से पीड़ित माना जाता है, जबकि अगर ऐसा नहीं है तो उसे डेंगू बुखार होता है। टाइप 2 और टाइप 4 डेंगू से लीकेज होने की ज्यादा संभावना होती है।
भ्रांति : डेंगू से पीड़ित सभी मरीजों का अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है।
तथ्य : डेंगू बुखार का इलाज ओपीडी में हो सकता है और जिन मरीजों में तीव्र पेट दर्द, टैंडरनेस्स, लगातार उल्टी, असंतुलित मानसिक हालात और बेहद कमजोरी है उन्हें हस्तपाल में भर्ती हो पड़ सकता है। केवल गंभीर डेंगू के मरीजों को डॉक्टर की सलाह अनुसार भर्ती होना चाहिए।
डॉ. अग्रवाल ने कहा, “हमेशा याद रखें कि 70 प्रतिशत मामलों में डेंगू बुखार का इलाज उचित तरल आहार लेने से हो जाता है। मरीज को साफ सुथरा 100 से 150 मिलीलीटर पानी हर घंटे देते रहना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मरीज हर 4 से 6 घंटे में पेशाब करता रहे।”
भ्रांति : एक बार डेंगू होने पर दोबारा कभी डेंगू नहीं हो सकता।
तथ्य : डेंगू की चार किस्में हैं। एक किस्म का डेंगू दोबारा नहीं हो सकता लेकिन दूसरी किस्म का डेंगू हो सकता है। दूसरी बार हुआ डेंगू पहली बार से ज्यादा गंभीर होता है। पहली बार में केवल एजीएम या एएस1 ही पाजिटिव होगा और दूसरी बार में एजीजी भी पॉजिटिव होगा।
भ्रांति : डेंगू बुखार का प्रमुख इलाज प्लेटलेट्स टरांसफ्यूजन है।
तथ्य : प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत तब होती है, जब प्लेटलेट्स की संख्या 10000 से कम होती है और ब्लीडिंग हो रही हो। ज्यादातर मामलों में प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं होती और यह फायदे की बजाय नुक्सान कर सकता है। तरल आहार देते रहना इसके इलाज का सबसे बेहतर तरीका है। जो लोग मुंह से तरल आहार नहीं ले सकते उन्हें नाड़ी से तरल आहार दिया जा सकता है।
भ्रांति : मशीन से प्राप्त प्लेट्लेट्स संख्या सटीक होती है।
तथ्य : मशीन की रीडिंग असली प्लेटलेट्स की संख्या से कम हो सकती है। प्लेटलेट्स की संख्या का यह अंतर 30000 से ज्यादा तक का हो सकता है।
भ्रांति : केवल प्लेट्लेट्स संख्या से ही डेंगू का सम्पूर्ण और कारगर इलाज हो सकता है।
तथ्य : प्रोगनोसिस और इनक्रीज्ड कैपिलरी परमियबिल्टी की जांच करने के लिए संपूर्ण ब्लड काउंट खास कर हीमोक्रिटिक की जरूरत पड़ती है, जो सभी समस्याओं का शुरुआती केंद्रबिंदु होता है। घटती प्लेट्लेट्स संख्या और बढ़ता हीमोक्रिटिक स्तर बेहद अहम होते हैं।
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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी
नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.
एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.
डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।
डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।
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