उत्तराखंड
डॉक्टरों ने महिला के पेट से निकाला गया बेलन, खतरे से बाहर
ऊधम सिंह (उत्तराखंड)। ऑपरेशन कर पेट से बेलन निकाले जाने के बाद पीडि़त महिला अब खतरे से बाहर है। डॉक्टरों ने दो दिन पूर्व महिला की पेट की बड़ी आंत का ऑपरेशन कर पेट से रोटी बनाने वाला एक फीट लंबा लकड़ी का बेलन निकाला था। चिकित्सकों का अनुमान है कि पति ने झगड़े के दौरान महिला के मलद्वार से बेलन पेट के अंदर डाल दिया होगा।
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज के अस्पताल में सर्जरी विभाग के प्रभारी डॉ. के.एस. शाही ने बताया कि 40 वर्षीय महिला को चार दिन पूर्व भर्ती कराने आए उसके पड़ोसियों ने बताया था कि महिला को गिर जाने के कारण चोट लगी है, लेकिन प्रारंभिक जांच में शरीर में कहीं चोट का निशान नहीं दिखाई दिया। महिला पेट में अत्यधिक दर्द से कराह रही थी। मामला संदिग्ध लगने पर उन्होंने पुलिस को सूचना दी थी।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि महिला व उसका पति दोनों शराब पीते हैं और दोनों का रोजाना झगड़ा होता है। पुलिस का दावा है कि उसके पति ने ही झगड़े के दौरान महिला के मलद्वार से बेलन पेट के अंदर डाल दिया होगा।
उन्होंने कहा कि महिला फिलहाल बयान देने के काबिल नहीं है, उसका बयान दर्ज किए जाने के बाद ही आरोपी की गिरफ्तारी की जाएगी।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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