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तवायफों पर मृणाल पाण्डे ने लिखा कुछ ऐसा, मुरीद हुईं शुभा मुद्गल

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नई दिल्ली। इंडिया हैबिटेट सेंटर में कवि अशोक वाजपेयी, गायिका शुभा मुद्गल, कवि मंगलेश डबराल एवं राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी ने उपन्यासकार मृणाल पाण्डे की पुस्तक ‘सहेला रे’ का लोकार्पण किया। इसके बाद रंगकर्मी सुमन वैद एवं दक्षिणा शर्मा ने उपन्यास से अंशपाठ किया। उपन्यासकार मृणाल पांडे अपनी शास्त्रीय संगीत और कला की समझ के लिए भी जानी जाती हैं। उनका यह उपन्यास ‘सहेला रे’ शास्त्रीय संगीत के उस दौर की किस्सागोई करता है जहां परफॉर्मर नहीं साधक हुआ करते थे।

‘सहेला रे’ अंग्रेज बाप से जन्मी अंजलीबाई और उसकी मां हीरा को केंद्र में रखता है, इसी के बहाने बनारस, घरानेदारी के तार छूता है। इस मौके पर सुप्रसिद्ध हिन्दुस्तानी शात्रीय संगीत गायिका शुभा मुद्गल ने कहा, “इस उपन्यास से मुझे वो प्राप्त हुआ जो एक संगीत का विद्यार्थी अनुभव करता है। तवायफों पर लिखने का साहस मृणाल पाण्डे ही कर सकती हैं।”

उपन्यासकार मृणाल पाण्डे

उन्होंने कहा भारत में खाटी समीक्षा (प्योर रिव्यू) जैसी चीज शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में नहीं है और यही हाल साहित्य में भी बन आई है। कवि और आलोचक अशोक वाजपेयी ने कहा, “यह एक ऐसा उपन्यास था जिसको पढऩे की रुचि मेरी इसलिए थी कि हिंदी में संगीत पर बहुत कम लिखा गया है, अक्सर मैं उपन्यास को पढ़ते-पढ़ते उब जाता हूं और आगे नहीं पढ़ पाता, मगर यह ऐसा पहला उपन्यास था जिसे मैंने केवल एकदिन में ही पूरा पढ़ लिया था।”

कवि मंगलेश डबराल ने कहा, “संगीत उनकी दुनिया है, अगर मृणाल पाण्डे आज लिख नहीं रही होती तो गा रही होती।”

गायिका शुभा मुद्गल

अंजलीबाई और उसकी मां दोनों ही मशहूर गानेवाली थी, न सिर्फ गानेवाली बल्कि खुबसूरत भी थी, हीराबाई जो एक अंग्रेज अफसर को भा गई और बाद में दोनों की एक बेटी हुई, कुछ समय बाद अफसर की मृत्यु हो गयी और दोनों मां-बेटी बनारस आ पहुंचे। बनारस तो जाना ही जाता है संगीत के लिए।

भारतीय संगीत का एक दौर ऐसा भी रहा है जब संगीत के प्रस्तोता नहीं, साधक हुआ करते थे। वे सिर्फ अपने लिए गाते थे और उन्हें सुनने वाले उनके स्वरों को प्रसाद की तरह ग्रहण करते थे। मृणाल पाण्डे की यह पुस्तक उसी दौर की कहानी आपके सामने रखता है।

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मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश

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शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।

क्या है पूरा मामला?

एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।

परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।

जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।

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