प्रादेशिक
त्रिपुरा : जनजातीय परिषद का चुनाव रविवार को, तैयारियां पूरी
अगरतला | त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्रीय स्वायत्तशासी जिला परिषद (टीटीएएडीसी) की 30 सीटों के लिए मतदान रविवार को होने जा रहा है। इस चुनाव की खास बात यह है कि इसमें पहली बार ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का इस्तेमाल किया जाएगा। टीटीएएडीसी राज्य विधानसभा के समान ही संवैधानिक संस्था है। टीटीएएडीसी की 1982 में स्थापना हुई थी। इसकी 30 सदस्यीय सीटों में से 28 सीटें प्रत्यक्ष चुनावों के जरिए, जबकि दो सीटों पर सरकार द्वार नामांकित उम्मीदवार निर्वाचित होते हैं। परिषद की 27 सीटें जनजातीयों के लिए आरक्षित हैं। 175 उम्मीदवारों के साथ तीन मई को होने जा रहे इस चुनाव में बहुकोणीय मुकाबले की संभावना है। इसे एक लघु विधानसभा चुनाव के रूप में देखा जा रहा है। त्रिपुरा देश का एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां वामपंथी सरकार है। राज्य निर्वाचन आयुक्त संजय कुमार राकेश ने कहा कि 375,117 महिलाओं सहित कुल 758,554 मतदाता मतदान के पात्र हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, चार राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलावा तृणमूल कांग्रेस सहित सात स्थानीय पार्टियों ने भी चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवार उतारे हैं। राकेश ने यह भी कहा कि पहली बार टीटीएएडीसी चुनाव में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक मतदान मशीनों) का इस्तेमाल किया जाएगा। टीटीएएडीसी की स्थापना संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत जनवरी 1982 में हुई थी और अगस्त 1984 में संविधान की छठी अनुसूची में संशोधन के साथ इसे उन्नत बनाया गया था, ताकि जनजातियों के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक हितों की रक्षा की जा सके। लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां टीटीएएडीसी को अधिक शक्तियां देने का आग्रह कर रही हैं। वर्तमान में टीटीएएडीसी स्कूली शिक्षा, प्राथमिकी स्वास्थ्य, जंगल, उद्योग, जनजातीय कल्याण, पीडब्लूडी, खेल और युवा मामलों सहित 18 विभागों का संचालन करती है।
2005 से ही टीटीएएडीसी पर माकपा नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ वाम मोर्चे का कब्जा है, और वाम मोर्चे ने सभी 28 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने भी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। दो जनजातीय पार्टियां, इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) और इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। माकपा ने जनजातीय पार्टियों, विशेष रूप से आईपीएफटी पर सांप्रदायिकता के आधार पर लोगों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
उत्तर प्रदेश
राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार
प्रयागराज। योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान कर रही है। प्रयागराज नगरी के साथ ही जिले में गंगा किनारे स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रहे श्रृंगवेरपुर धाम का भी कायाकल्प सरकार कर रही है। श्रृंगवेरपुर धाम में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ रूरल टूरिज्म की भी संभावनाएं विकसित हो रही हैं।
मिल रहा है भव्य स्वरूप
राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के भव्य निर्माण और गर्भ ग्रह में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब प्रभु राम के अनन्य भक्त निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर को भी भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। यूपी की पूर्व की सरकारों में उपेक्षित रहे प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई पहचान दी है। सामाजिक समरसता के प्रतीक इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के साथ अब रूरल टूरिज्म के साथ भी जोड़ कर विकसित किया जा रहा है।
प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह बताती हैं कि श्रृंगवेरपुर धाम का कायाकल्प का कार्य समापन के चरण में है। इसके अंतर्गत यहां ₹3732.90 लाख की लागत से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल का निर्माण कार्य दो फेज में किया गया है। निषादराज पार्क (फेज-1) के निर्माण हेतु ₹ 1963.01 लाख के बजट से निषादराज एवं भगवान श्रीराम मिलन की मूर्ति की स्थापना व मूर्ति के पैडेस्टल का कार्य, पोडियम का कार्य, ओवर हेड टैंक, बाउण्ड्रीवाल, प्रवेश द्वार का निर्माण, गार्ड रूम आदि कार्य कराया गया। इसी तरह श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क (फेज-2) के ₹ 1818.90 लाख के बजट से इस भगवान श्रीराम के निषादराज मिलन से सम्बन्धित गैलरी , चित्रांकन, ध्यान केन्द्र, केयर टेकर रूम, कैफेटेरिया, पॉथ-वे, पेयजल व टॉयलेट ब्लॉक, कियास्क, पार्किंग, लैंड स्केपिंग, हॉर्टिकल्चर,आउटर रोड, सोलर पैनल, मुक्ताकाशी मंच आदि कार्य कराए गए हैं। 6 हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
रूरल टूरिज्म का हब बनेगी निषादराज की नगरी
धार्मिक और आध्यत्मिक पर्यटन के साथ श्रृंगवेरपुर धाम को ग्रामीण पर्यटन के साथ जोड़कर विकसित करने का रोड मैप तैयार किया गया है ।अपराजिता सिंह के मुताबिक रूरल टूरिज्म के अन्तर्गत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किये जाने के लिए सबसे पहले यहां ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए यहां स्थानीय लोगों को अपने यहां मड हाउस या हट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके। इन सभी स्थानों पर थीमेटिक पेंटिंग होगी, स्थानीय खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जाएगा । पर्यटक भी यहां स्टे करने के दौरान स्थानीय ग्रामीण क्राफ्ट का हिस्सा बन सके ऐसी उनकी कोशिश है।
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