Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मनोरंजन

दर्शकों को रिझाने के लिए फिल्मों के ‘देसी’ नाम

Published

on

Loading

नई दिल्ली, 2 अप्रैल (आईएएनएस)| फिल्मों का देसी नाम रखकर दर्शकों के साथ जुड़ाव साधने का आजकल चलन सा बन गया है। इसकी बानगी हालिया रिलीज फिल्म ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ के नाम में भी देखने को मिली।

नाम का उच्चारण करना थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन इसमें देसीपन भी है, जो दर्शकों को अपना सा लगता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह टोटका ‘देसी’ दर्शकों के साथ जुड़ाव कायम करने में मददगार साबित होता है।

कमोबेश आने वाली कई फिल्मों के नामों में देसीपन है, जैसे ‘बत्ती गुल मीटर चालू’, ‘वीरे दी वेडिंग’, ‘दिल जंगली’, ‘नानू की जानू’, ‘शादी तेरी बजाएंगे बैंड हम’, ‘चंदा मामा दूर के’, ‘संदीप और पिंकी फरार’, ‘सुई धागा-मेड इन इंडिया’, ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ और ‘पल पल दिल के पास’ जो अपनी दिलचस्प शीर्षक की वजह से पहले से ही लोगों के मन में उत्सुकता पैदा कर चुकी हैं।

दिलचस्प बात यह भी है कि इन सभी फिल्मों में कई कलाकार हैं, जो कॉमेडी, मनोरंजन, रोमांटिक और प्रयोगात्मक विधाओं पर बन रही हैं।

अभय देओल अभिनीत फिल्म ‘नानू की जानू’ की पटकथा लिखने वाले अभिनेता व लेखक मनु ऋषि चड्ढा ने कहा कि देसी ‘शीर्षक’ दर्शकों के साथ एक जुड़ाव कायम करते हैं।

मनु ने आईएएनएस को बताया, शब्द और नाम जैसे टीटू, बिट्टू, टिंकू, मोनू, सोनू, बंटी, लकी, नानू और जानू आपके अपने घर के बच्चों के नाम की तरह मालूम पड़ते हैं और दर्शकों को लगता है कि जैसे यह उनकी अपनी कहानी है। तो, यह एक आम परिवार के दिल में जगह बनाने, उनका प्यार और सराहना पाने का प्रयास है, जो बॉक्स ऑफिस पर अच्छा परिणाम देता है।

उन्होंने कहा, भारत के 80 फीसदी लोग फिल्मों में अपने जैसे किरदार पाते हैं, तो अगर एक फिल्म का शीर्षक उन्हें अपनेपन जैसे एहसास कराता है तो उनके दिल में जगह बनाने के साथ ही यह बॉक्स ऑफिस के परिणाम को भी अपने पक्ष में कर लेता है।

‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ के निर्देशक लव रंजन ने कहा कि फिल्म के नाम ने लोगों को आश्चर्य में डाल दिया, उन्हें इसके सही उच्चारण में मुश्किल हुई, कुछ लोगों ने तो ‘ट्वीटी’ कह डाला, लेकिन यह तरीका काम कर गया।

फिल्म ‘बा बा ब्लैकशीप’ के निर्देशक विश्वास पांड्या ने कहा कि मशहूर नर्सरी राइम पर आधारित फिल्म के नाम का अपना महत्व है।

उन्होंने कहा, मनीष पाल मुख्य किरदार निभा रहे हैं और फिल्म में उनका नाम बाबा है और जब मैं फिल्म लिख रहा था तो मैंने सोचा कि फिल्म के सारे कलाकार काले हैं, इसलिए ‘बा बा ब्लैक शीप’ नाम रखा गया।

फिल्मों के नाम लीक से हटकर रखे जाने का चलन नया नहीं है।

फिल्म इतिहासकार एस.एम.एम. औसजा ने बताया कि कैसे फिल्मकार दर्शकों को रिझाने के लिए सालों से इस फार्मूले का इस्तेमाल करते आ रेह हैं।

औसजा ने आईएएनएस को बताया, उदाहरण के लिए 1955 की फिल्म ‘गरम कोट’ या 1956 की फिल्म ‘छू मंतर’ को ले लीजिए..फिर ‘चमेली की शादी’ नाम की फिल्म आई और उसके बाद कई ऐसी नामों वाली फिल्में जैसे ‘ऊट पटांग’, ‘भागम भाग’ ..इनके अलावा जॉनी वाकर और भगवान दादा की फिल्मों के नाम भी देसी होते थे, अधिकांश नाम अजीब व हास्य के पुट वाले होते थे, जिसके लिए मनोरंजक शीर्षक की जरूरत होती थी।

उन्होंने कहा कि लीक से हटकर फिल्मों के रखे जाने वाले नाम न सिर्फ दर्शकों की उत्सुकता बढ़ाते हैं, बल्कि उनके मन में फिल्म की स्मृति भी बनाए रखने में मदद करते हैं।

पिछले साल भी ध्यान आकर्षित करने वाले नामों के साथ कई फिल्में जैसे ‘हरामखोर’, ‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’, ‘बेगम जान’, ‘मेरी प्यारी बिंदू’, ‘बहन होगी तेरी’, ‘बैंक चोर’, ‘बरेली की बर्फी’, ‘शुभ मंगल सावधान’ और ‘शादी में जरूर आना’ रिलीज हुई थी।

फिल्म एवं व्यापार समीक्षक गिरीश जौहर के मुताबिक, दर्शकों की बदलती पसंद के साथ यह चलन ज्यादा देखने को मिल रहा है, जिन्होंने धीरे-धीरे दिल से देसी और ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली फिल्मों को पसंद करना शुरू कर दिया।

उन्होंने कहा, दर्शक यथार्थवादी कहानियां देखना चाहते हैं और यथार्थवादी तरीके से मनोरंजन करना चाहते हैं, इसलिए कहानियों और उनके नाम भी खास तरह के चुने गए हैं।

Continue Reading

नेशनल

5.6 मिलियन फॉलोअर्स वाले एजाज खान को मिले महज 155 वोट, नोटा से भी रह गए काफी पीछे

Published

on

Loading

मुंबई। टीवी एक्टर और पूर्व बिग बॉस कंटेस्टेंट एजाज खान इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे। हालांकि जो परिणाम आए हैं उसकी उन्होंने सपने में भी उम्मीद नहीं की होगी। एजाज आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर वर्सोवा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन उन्होंने अभी तक केवल 155 वोट ही हासिल किए हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि नोटा को भी 1298 वोट मिल चुके हैं। इस सीट से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के हारून खान बढ़त बनाए हुए हैं जिन्हें अबतक करीब 65 हजार वोट मिल चुके हैं।

बता दें कि ये वहीं एजाज खान हैं जिनके सोशल मीडिया पर 5.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं। ऐसे में बड़ी ही हैरानी की बात है कि उनके इतने चाहने वाले होने के बावजूद भी  1000 वोट भी हासिल नहीं कर पाए। केवल 155 वोट के साथ उन्हें करारा झटका लगा है।

Continue Reading

Trending