प्रादेशिक
दलित महिला के घर हमला मामले में थाने पर बेमियादी धरना
सोनभद्र। उप्र के सोनभद्र जनपद के ग्राम बाड़ी चोपन थाना तहसील राबर्टसगंज में वैष्णो देवी मंदिर के पीछे दलित महिला शोभा के घर पर 6 फरवरी 2015 को ग्राम बाड़ी के सरहंग दबंग लोगों ने सैकड़ों की संख्या में हमला बोला जिससे शोभा का घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है व इस हमले में कम से कम 20 महिलाए गंभीर रूप से घायल हुई है। इन महिलाओं को न्याय देने के बजाय उल्टे सोनभद्र पुलिस ने सभी घायल महिलाओं को रात में मिर्जापुर जेल में भेज दिया और जिन्होंने हमला किया उनके झूठे फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनवाने का काम खुद उपर पुलिस अधीक्षक शंभू शरण यादव ने किया।
घायल महिलाओं में कई ऐसी महिलाए हैं जिनके छोटे छोटे दुध मुंहा बच्चे हैं जो कि उनके बिना बिलबिला रहे हैं। शोभा व सभी महिलाए स्थानीय संगठन कैमूर क्षेत्र मज़दूर किसान महिला संघर्ष समिति एवं अखिल भारतीय वनजन श्रमजीवी यूनियन की सदस्या हैं। इन्हें बिना शर्त रिहा करने के लिए हज़ारों की तादात में दलित आदिवासी महिलाओं ने तीर कमान से लैस होकर चोपन थाने को घेराव कर लिया है व यह ऐलान कर दिया है कि सभी महिलाओं को जब तक बिना शर्त नहीं रिहा किया जाएगा व पीडि़त महिलाओं को जब तक न्याय नहीं दिया जाएगा तब तक आंदोलनकारी थाने पर अपना कब्ज़ा नहीं छोड़ेगें।
आंदोलनकारी और अराजक तत्व जिनके पीछे प्रशासन, खनन माफिया, जेपी कम्पनी व वनविभाग है वे आमने सामने हैं। यह संघर्ष भूअधिकारों और महिला उत्पीड़न के खिलाफ का संघर्ष है जिसके लिए आंदोलनकारी डटे हुए है व उन्होंने फैसला लिया है अगर महिलाओं के साथ उत्पीड़न ज़ारी रहेगा तो वे सोनभद्र जिले में चल रहे तमाम जनआंदोलनों और देश भर के जनसंगठनों को एक़ित्रत कर एक व्यापक जनआंदोलन छेड़ेगें।
शोभा के घर पर इस घटना को अंजाम देने में स्थानीय दबंग जिसका नेतृत्व शोभा के ही बलात्कारी कलवंत अग्रवाल व अन्य डा0 मिश्रा, बीडीसी जसौदा, वनविभाग व डाला चैकी प्रभारी द्वारा किया गया। सोनभद्र की प्रेस के अनुसार हमला यह कह कर किया गया कि शोभा वनभूमि पर काबिज़ है जिसको वहां रहने का कोई हक नहीं है। जबकि उपर पुलिस अधीक्षक द्वारा यह बयान दिया गया है कि शोभा द्वारा बीडीसी जसौदा को मारा गया इसलिए उस के घर पर हमला किया गया।
इन दोनों बातों से यह साफ होता है कि यह हमला पुलिस और दबंगों द्वारा मिलकर करवाया गया ताकि शोभा को जानसे मार कर वहां से भगाया जाए। दरअसल शोभा द्वारा पिछले दस वर्षो से अपने भूअधिकार का संघर्ष किया जा रहा है। एक दलित महिला होने के नाते वह अपनी मज़दूरी कर के चोपन के क्रशर बेल्ट में पेट भरती थी और वहीं पर वह अपनी झोपड़ी डाल कर रह रही थी। उसे वहां से हटाने के लिए खनन माफिया कलवंत अग्रवाल द्वारा 2008 में उसी के पति को चोरी के आरोप में जेल भिजवाया गया व उसी के घर में घुस कर शोभा का बलात्कार किया गया।
यह बलात्कारी पुलिस के साथ मिलकर कोर्ट की आंखों में धूल झांेक कर 376 व एससीएसटी एक्ट में कोर्ट से स्टे आर्डर ले आया और बेखौफ घूमता रहा। बार बार शोभा और उसकी लड़कीयों को धमकीयां देता रहा कि मेरा कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता और तुम्हारी लड़कीयों के साथ भी अब यहीं होगा। इसके खिलाफ शोभा का संघर्ष ज़ारी रहा। इस बलात्कारी को गिरफतार करने के लिए संगठन ने एकजुट हो कर जून 2014 में चोपन थाने का घेराव किया और उसके फर्जी स्टे आर्डर को कोर्ट में चुनौती दी व गिरफतार करवाया। लेकिन कुछ ही दिन में वह छूट गया क्यों कि इस मामले में अभी तक सोनभद्र पुलिस ने बलात्कारी के खिलाफ चार्ज शीट दाखि़ल नहीं की है।
इसके अलावा जिस भूमि पर शोभा का घर स्थित है उस भूमि पर वनाधिकार कानून 2006 के तहत शोभा द्वारा दावा भी दायर किया गया है जो कि अभी तक लम्बित है। उ0प्र0 में सपा सरकार के सत्तासीन होने के बाद इस कानून को लागू करने की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की गई है। वनाधिकार कानून लागू करने का संघर्ष एक वृहद संघर्ष है जो कि जनपद सोनभद्र में दलित आदिवासीयों द्वारा लड़ा जा रहा है।
यह संघर्ष दरअसल कम्पनियों, माफियाओं, पूंजीपतियों, सांमतों, ठेकेदारों, भूमाफियाओं व दबंगों के खिलाफ है। जो कि एकजुट हुए व व्यापक राजनैतिक चेतना के नहीं लड़ा जा सकता। शोभा द्वारा एक व्यापक मोर्चा बनाया गया व अपने क्षेत्र में उसने महिलाओं को बड़े पैमाने में संगठित कर सांमतों, पूंजीपतियों, बलात्कारीयों, अपराधीयों व हत्यारों को चुनौती दी। उसे यह आभास था कि किसी भी दिन उसपर जान लेवा हमला हो सकता है लेकिन वह निर्भिक हो कर अपने हकों के लिए सरकार से लड़ती चली आ रही है। बाड़ी क्षेत्र की मज़दूर ग़रीब महिलाओं द्वारा संगठित हो कर वनविभाग द्वारा लूटी गई भूमि पर उन्होंने अपना दख़ल काय़म किया व कारपोरेट लूट को भी चुनौती दी।
महिलाओं की इस संगठित ताकत के आगे सारे निहित स्वार्थ बौखलाने लगे व डाला चैकी इंचार्ज की मदद से महिलाओं को सबक सिखाने के लिए साजिश रची गई तथा शोभा को उसी के घर से बेदख़ल करने की साजिश बनाई। जबकि वनाधिकार कानून 2006 की धारा 4 उपधारा 5 में यह स्पष्ट वर्णित है कि जब कोई भी दावेदार इस कानून के तहत अपना दावा करता है तो उसे उसकी भूमि से तब तक बेदख़ल नहीं किया जा सकता जब तक कि उसका दावा निस्तारित नहीं हो जाता।
दलित महिला के घर पर हुए इस हमले का जवाब जिलाधिकारी को देना होगा जो कि जिला स्तरीय वनाधिकार समिति के अध्यक्ष है। संसद के इस कानून की अवमानना करने के लिए इस कानून में अधिकारीयों के उपर भी सख्त कार्यवाही करने के र्निदेश है चूंकि यह कानून वनाश्रित समुदाय के प्रति हुए ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त करने के लिए ही लाया गया है। लेकिन कानून के पालन के बजाय अभी तक यह ऐतिहासिक अन्याया जनपद सोनभद्र में ज़ारी है जहां पर खनन माफियाओं, कोयला चोरों, कम्पनियों की शय पर जिला प्रशासन इन अन्यायों को ज़ारी रखे हुए है।
आज सुबह से इस मामले को लेकर पूरे क्षेत्र मे आदिवासीयों में काफी गुस्सा है व वे हज़ारों की संख्या में एकत्रित हो कर चोपन थाना का घेराव करके बैठ गए है। इस मामले में अगर सुनवाई नहंी होती तो सोनभद्र के अलावा अन्य जनपदों एवं राज्यों से भी इस आंदोलन को मदद करने के लिए हज़ारों की संख्या में वनाश्रित समुदाय एकत्रित होगा। उनकी मांगे हैं –
1. डाला चैकी प्रभारी विजय यादव एवं उपर पुलिस अधीक्षक शंभू शरण यादव को दलित महिला के घर पर हमले का पूरा जिम्मेदार ठहराते हुए व अराजक तत्वों को सुरक्षा देने के आरोप में तत्काल संस्पेड़ किया जाए।
2. दलित महिला के घर पर हुए हमले के उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
3. सभी गिरफतार 18 महिलाओं को बिना शर्त व बाईज्जत रिहा किया जाए, अगर वे रिहा नहीं होती है तो थाना चोपर पर महिलाओं का घेराव ज़ारी रहेगा व इस मामले को मुख्यमंत्री स्तर तक लेजाया जाएगा।
4. दलित महिला के बलात्कारी कलवंत अग्रवाल को तत्काल गिरफतार करके जेल भेजा जाए। अगर गिरफतारी नहीं होती तो महिलाए एक वृहद जनांदोलन छेड़ेगी।
5. वनाधिकार कानून 2006 के तहत दलित महिला के दावे को निस्तारित कर उसका मालिकाना हक़ दिया जाए व तमाम अन्य वनाधिकार एवं लघुवनोपज पर मालिकाना हक़ दिया जाए।
6. महिलाओं के साथ हो रहे उत्पीड़न को तत्काल बंद किया जाए व महिलाओं को सम्मान दिया जाए।
7. दलित महिला के घर के हुए नुकसान का 25 लाख का मुवाअज़ा दिया जाए व उसके सम्मान को उसे लौटाया जाए।
8. इस पूरे क्षेत्र में दलित आदिवासीयों के भू एवं वनाधिकारों को सुनिश्चित किया जाए।
IANS News
महाकुंभ में बिछड़ने वालों को अपनों से मिलाएंगे एआई कैमरे, फेसबुक और एक्स भी करेंगे मदद
प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगी योगी आदित्यनाथ सरकार पहली बार इतने व्यापक स्तर पर महाआयोजन का डिजिटलाइजेशन कर रही है। यहां एआई की मदद से ऐसे कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो 45 करोड़ श्रद्धालुओं की हिफाजत में 24 घंटे तैनात रहेंगे। एआई लाइसेंस वाले इन कैमरों के साथ ही फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म भी बिछड़ने वाले परिजनों को खोजने में तत्काल मदद करेंगे।
मदद करेगा डिजिटल खोया पाया केंद्र
इस बार महाकुंभ में देश विदेश से बड़ी संख्या में आने वाले लोगों को अपनों को खोने का डर नहीं सताएगा। मेला प्रशासन ने इसकी व्यापक कार्ययोजना तैयार की है। इसके लिए डिजिटल खोया पाया केंद्र को एक दिसंबर से लाइव किया जाएगा। इसके माध्यम से 328 एआई लाइसेंस वाले कैमरे पूरे मेला क्षेत्र पर नजर रखेंगे। इन सभी कैमरों का परीक्षण कर लिया गया है। पूरे मेला क्षेत्र को इन विशेष कैमरों से लैस किया जा रहा है। योगी सरकार के निर्देश पर बड़े पैमाने पर कैमरे इंस्टॉल करने का काम अपने अंतिम चरण में है। मेला क्षेत्र की चार लोकेशन पर इन विशेष एआई कैमरों का परीक्षण भी किया जा चुका है।
महाकुंभ में अब कोई भी अपना बिछड़ने नहीं पाएगा।
पलक झपकते काम करेगी तकनीक
महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले श्रृद्धालुओं के लिए सरकार ने ऐसे डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की है, जो तकनीक के सहारे चलेंगे और पलक झपकते ही अपनों से मिलाएंगे। इसमें हर खोए हुए व्यक्ति का डिजिटल पंजीकरण तुरंत किया जाएगा। पंजीकरण होने के बाद एआई कैमरे गुमशुदा की तलाश में जुट जाएंगे। यही नहीं, गुमशुदा की जानकारी को फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी शेयर किया जाएगा। यह व्यवस्था महाकुंभ मेले को न केवल सुरक्षित बनाएगी, बल्कि परिवारों को जल्दी और आसानी से अपने प्रियजनों से जोड़ने का काम करेगी।
फोटो से मिलान करेगा एआई
महाकुंभ में अपनों से बिछड़ने वाले व्यक्तियों की पहचान के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह तत्काल काम करेगा। यहां 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। ऐसे में एआई कैमरे तत्काल फोटो खींचकर व्यक्ति की पहचान कर लेंगे। इस काम में सोशल मीडिया भी तत्पर रहेगा।
पहचान का देना होगा प्रमाण
जो भी व्यक्ति महाकुंभ मेले में अपनों से बिछड़ेगा, उसका सुरक्षित, व्यवस्थित और जिम्मेदार प्रणाली के तहत ख्याल भी रखा जाएगा। किसी भी वयस्क को बच्चे या महिला को ले जाने से पहले सुनिश्चित करना होगा कि वह उसे पहचानते हैं और उनकी पहचान प्रमाणिक है।
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