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दस्तावेज लीक : रक्षा मंत्रालय के कर्मचारी को न्यायिक हिरासत

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नई दिल्ली | पेट्रोलियम मंत्रालय से दस्तावेज लीक से संबंधित एक मामले में यहां की एक अदालत ने बुधवार को रक्षा मंत्रालय के एक कर्मचारी को पांच मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। रक्षा मंत्रालय में अस्थायी कर्मचारी वीरेंद्र कुमार को पेट्रोलियम और अन्य मंत्रालयों से दस्तावेज लीक करने के मामले में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था। उसे पांच मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

वीरेंद्र की एक दिन की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद उसे मुख्य महानगर दंडाधिकारी संजय खंगवाल के समझ पेश किया गया। पुलिस ने अदालत को बताया कि उसे अब आगे की जांच के लिए वीरेंद्र की जरूरत नहीं है। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के कॉरपोरेट मामले के प्रबंधक शैलेश सक्सेना, जुबिलेंट एनर्जी के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी सुभाष चंद्रा, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के उप-महाप्रबंधक ऋषि आनंद, एस्सार के उप-महाप्रबंधक विनय और केयर्न इंडिया के महाप्रबंधक के.के. नाईक को मंगलवार को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।

दिल्ली निवासी दो भाइयों -लालता प्रसाद (36) और राजेश कुमार (30)- सहित गाजियाबाद निवासी राजकुमार चौबे (39) को 17 फरवरी की रात गिरफ्तार किया गया था। इसी दिन पेट्रोलियम मंत्रालय से दस्तावेज लीक के मामले का खुलासा हुआ था। इन तीनों आरोपियों के साथ ही सरकारी कर्मचारी आशाराम (58) और ईश्वर सिंह (56) भी न्यायिक हिरासत में हैं। पूर्व पत्रकार शांतनु सैकिया के साथ प्रयास जैन (मेलबर्न में रहने वाले ऊर्जा सलाहकार) को सोमवार को अदालत ने छह मार्च तक न्यायकि हिरासत में भेजा था। सैकिया कई सालों तक अपराध पत्रकारिता करते रहे हैं। फिलहाल वह एक वेबसाइट चलाते थे। पेट्रोलियम, ऊर्जा और कोयला मंत्रालयों से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को चुराने के मामले दिल्ली पुलिस अभी तक दो प्राथिमिकी दर्ज कर चुकी है। पहली प्राथिमिकी 17 फरवरी को दर्ज की गई थी, वहीं दूसरी प्राथमिकी 20 फरवरी को दर्ज की गई थी।

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ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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