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मुख्य समाचार

दिल उदास कर गए सहवाग!

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पद्मपति शर्मा

दिल उदास है, कुछ दिन पहले ही जहीर ने क्रिकेट को अलविदा कहा था तो क्रिकेट में मनोरंजन का दूसरा नाम वीरेंद्र सहवाग ने भी आज बाय-बाय टाटा करते हुए देश के खेल प्रेमियों को दशहरे की पूर्व संध्या पर उदास और मायूस कर दिया।

वीरू ने मार्क टेलर के आस्ट्रेलिया के खिलाफ बीती सदी के अंत में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पहला पग रखते हुए ही वह धमाल मचाया कि फिर मुड़ कर भी नहीं देखा। सच तो यह कि भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को सचिन के बाद आनंद के अनगिनत लम्हे देने वाला यह शख्स दादा-दादी नाना-नानी की कहानियों में बरसों तक चमक के साथ सुनाया जाता रहेगा। कोई बताए कि सचिन हों या विवियन रिचर्डस, सहवाग के अलावा कौन है दूसरा जिसने शतक, दोहरा शतक और तिहरा शतक छक्के के साथ पूरा किया हो। ठीक है कि उनके स्ट्रोक्स किताबी नहीं स्वनिर्मित देसी जरूर थे मगर क्या तरन्नुम था उनमें कि याद करके ही आंखे तर हो जाती हैं।

आज के प्रजन्म को देखिए कि टीम इंडिया में यदि कोई कमी है तो वह उस विस्फोटक अंदाज की ही जो नजफगढ़ के राजकुमार का वैशिष्टय था। हमेशा स्वयं को सचिन की परछाई कहने वाले वीरू ने विदेशी धरती पर समान अधिकार से श्रेष्ठता पुजवाई। खास तौर से इंग्लैड, पाताल देश यानी आस्ट्रेलिया और विपरीत परिस्थितियों वाले ही न्यूजीलैंड में इस धुरंधर के जलवे का क्या पूछना।

सहवाग के एक तरह से मेंटर सौरभ गांगुली ने, जिनको श्रेय जाता है धोनी को एक महान टीम बना कर सौंपने का, वीरू की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें सलामी बल्लेबाज की भूमिका में पहली बार खिलाने का जोखिम मोल लिया। उनका यह दांव कितना अचूक सिद्ध हुआ, यह भी भला बताने की जरूरत है?

सचिन रहे हों या बाबू मोशाय (गांगुली) जब उनका बल्ला इन दोनों के साथ पूरे वेग से मुखर हुआ, बल्लेबाजी संपूर्णता में दिखी और गदगद दर्शकों का झूमना वाकई वह अनुभव रहा जिसे महसूस ही किया जा सकता है, जिसकी अभिव्यक्ति के लिए शब्द नहीं हैं मेरे पास।
मैं इस अवसर पर कोई विवादित बात नहीं करना चाहता, पर यह तो मानना ही पड़ेगा कि धोनी के टीम इंडिया का नेतृत्व सभांलने के बाद से सहवाग असहज हो चले थे। नतीजन समय पूर्व उन्हें रुखसत भी होना पड़ा।

लेकिन यह भी सच है कि आंख-हाथ-पैर के संयोजन के सहारे जो आश्रित रहते हैं, एक उम्र के साथ उनके रिफ्लेकशंस ढीले पड़ने से जो हश्र होता है, वही वीरू उस्ताद का हुआ। एक साल का विलंब कर दिया आपने घोषणा करने में। मगर यह भी सच है कि आप अर्से तक याद आते रहोगे वीरू सर!

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार, समीक्षक हैं)

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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