Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

दुख भरे दिन बीते रे भइया….

Published

on

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनैतिक हताशा, स्वच्छ भारत अभियान, जन-धन योजना, बीमा योजना, डिजिटल इंडिया, भूमि बिल व जीएसटी बिल, भारत एक विविधताओं वाला देश

Loading

जब कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा लोकप्रिय हो जाता है तो उसके समर्थकों और विरोधियों की संख्या भी तेजी से बढ़ती है। लोकप्रियता की एक और खासियत होती है, लोकप्रिय व्यक्ति समर्थकों के दिल में रहता है और विरोधियों के दिमाग में और दोनों ही जगहों पर वह चर्चा में बना रहता है। राजनीति में चर्चा और पर्चा में बने रहना अति आवश्यक है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज यही स्थिति है।

मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर उनके खाते में उपलब्धियां ज्यादा है कमियां बहुत कम लेकिन विरोधियों के लिए ठीक इसका उल्टा है। राजनैतिक हताशा के शिकार लोगों के दिन बहुरने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं इसलिए विरोध के लिए विरोध जारी है।

प्रचंड बहुमत पाने के बाद 26 मई 2014 को जब नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी उस समय भारत की हालत एक ऐसे जुआरी की थी जो जुए में अपना सबकुछ हार जाने के बाद भी अगला दांव जीतने की प्रत्याशा में रहता है। पूर्व की यूपीए सरकार ने पूरी दुनिया में भारत की छवि सरकारी घोटालेबाजों की बना दी थी नतीजन विदेश निवेश काफी कम हो गया था।

नरेंद्र मोदी ने इस एक साल में कोई ऐसा चमत्कार तो नहीं किया लेकिन अब कम से कम यह तो दिखता है कि भारत में सरकार नाम की भी कोई चीज है। अपने 365 दिनों के कार्यकाल में मोदी ने 17 देशों की यात्रा कर कुल 55 दिन विदेश में बिताए। भारत में पूरी दुनिया के निवेशकों का विश्वास बढ़ा जिससे अर्थव्यकव्था पटरी पर आने लगी। विकास दर सात प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया, मुद्रा स्फीति की दर काबू में आई और सरकार के लिए सरदर्द बन चुका चालू खाता घाटा भी काफी कम हुआ।

योजनाओं की बात करें तो स्वच्छ भारत अभियान, जन-धन योजना, बीमा योजना, डिजिटल इंडिया जैसी कई ऐसी योजनाएं लांच हुईं जिससे समाज के निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा का एहसास हुआ साथ ही इन योजनाओं की तारीफ अंतर्राष्ट्रीय संस्था़ओं ने भी की।

संसदीय कामकाज के तौर पर मोदी सरकार की उपलब्धियों को देखें तो इस बार हमारे माननीयों ने रिकार्ड कायम कर दिया। लोकसभा की उत्पापदकता 135 प्रतिशत जबकि राज्यसभा की 105 प्रतिशत रही इसका मतलब यह हुआ कि हमारे सांसदों ने ओवरटाइम किया। बजट सत्र में रिकार्ड 24 विधेयक पारित हुए जिसमें काला धन विरोधी विधेयक सरकार की विशेष उपलब्धि रही हालांकि भूमि बिल व जीएसटी बिल पर सरकार की मुसीबतें अभी टली नहीं हैं।

सवाल सिर्फ एक बात का है कि संसद और सरकार का काम सिर्फ नीतियां और कानून बनाना होता है उसे लागू करने का महती कार्य कार्यपालिका को करना होता है। भारत की घाघ कार्यपालिका से मोदी सरकार कैसे अपनी नीतियां शतप्रतिशत लागू करवाएगी यही देखने वाली बात है। यदि मोदी इसमें सफल हो गए तो वो लंबे समय के लिए पदस्थ रह सकते हैं। अन्यथा की स्थिति में फिर वही आलोचनाओं का दौर।

सरकार की एक और विवशता है। भारत एक विविधताओं वाला देश है। देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग विचारधाराओं की सरकारें हैं। मोदी सरकार कैसे उनसे तालमेल बिठाकर अपनी योजनाओं का क्रियान्यवन कराएगी यह भी देखने वाली बात होगी। इन सबके बावजूद मोदी सरकार के कार्यकाल के पहले साल को दस में से आठ नंबर दिए जा सकते हैं, विरोधी तो शून्य देंगे ही।

मुख्य समाचार

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

Published

on

Loading

पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

Continue Reading

Trending