मनोरंजन
दुर्गा खोटे : बेमिसाल अभिनय की मिसाल (जन्मदिन : 14 जनवरी)
नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)| पद्मश्री से सम्मानित दुर्गा खोटे ने मूक फिल्मों के दौर में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। ‘फरेबी जाल’ उनकी पहली फिल्म थी। फिल्मकार के. आसिफ की बहुचर्चित फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ में सलीम की मां जोधाबाई की यादगार भूमिका से उन्हें प्रसिद्धि मिली। हिंदी के अलावा मराठी फिल्मों की भी वह प्रसिद्ध अभिनेत्री रही हैं। इनका जन्म 14 जनवरी, 1950 में मुंबई में हुआ था। इनके पिता का नाम पांडुरंग लाउद और माता का नाम मंजुलाबाई था। वह कैथ्रेडल हाई स्कूल और सेंट जेवियर्स कॉलेज में शिक्षित हुईं। उन्होंने यही से बी.ए. की डिग्री हासिल की।
दुर्गा खोटे का शुरुआती जीवन सुखमय रहा, लेकिन बाद में उन पर दुखों का पहाड़ टूटा। जब वह मात्र 26 साल उम्र की थीं, तभी उनके पति का निधन हो गया। उनका घरेलू जीवन बहुत ही कठिन और दुखों से भरा रहा। उन्हें जो कुछ खुशी मिली, अपने बच्चों से ही मिली। पति के निधन के बाद उन पर दो बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी आ गई थी। ऐसे में उन्होंने पैसे के लिए फिल्मों की राह पकड़ी।
उस दौर की फिल्मों में ज्यादातर पुरुष ही महिलाओं की भूमिका निभाते थे। महिलाएं पर्दे में रहती थीं, जो कोई फिल्मी पर्दे पर आती थी, उसे अच्छी नजर से नहीं देखा जाता था। फिर भी दुर्गा खोटे ने साहस दिखाया और कामयाबी उनके कदम चूमती रही।
दुर्गा खोटे ने 200 फिल्मों के साथ ही सैकड़ों नाटकों में अभिनय किया और फिल्मों को लेकर समाज द्वारा तय वर्जनाओं को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई। हिंदी फिल्मों में उन्हें विशेष रूप से मां की भूमिका के लिए याद किया जाता है।
उन्होंने विजय भट्ट की फिल्म ‘भरत मिलाप’ में कैकेई की भूमिका को जीवंत बना दिया। बतौर मां उन्होंने ‘चरणों की दासी’, ‘मिर्जा गालिब’, ‘बॉबी’, ‘विदाई’, ‘चाचा भतीजा’, ‘जय बजरंगबली’, ‘शक’, अभिमान, ‘बावर्ची’, ‘पापी’, ‘कर्ज’, ‘पहेली’, ‘चोर सिपाही’, ‘साहेब बहादुर’, ‘राजा जानी’ जैसी फिल्मों में शानदार किरदार निभाया।
सन् 1936 में बनी फिल्म ‘अमर ज्योति’ में उन्होंने सौदामिनी की भूमिका निभाई, जो उनके सबसे यादगार भूमिकाओं में से एक है। उनके बेमिसाल अभिनय को आज तक लोग याद करते हैं।
भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के लिए उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1968 में दुर्गा खोटे पद्मश्री से भी सम्मानित हुईं। इसके अलावा वर्ष 1958 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला। फिल्म ‘विदाई’ में बहेतरीन अभिनय के लिए उन्हें वर्ष 1974 में सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार मिला।
बाद के जीवन में उन्होंने मराठी में अपनी आत्मकथा लिखी। हिंदी एवं मराठी फिल्मों के अलावा रंगमंच की दुनिया में करीब पांच दशक तक सक्रिय रहीं दुर्गा खोटे ने 22 सितंबर, 1991 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वह हमारी स्मृतियों में हमेशा बनी रहेंगी और आनेवाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेंगी।
उत्तर प्रदेश
डेकोरेटिव लाइट्स से महाकुंभ बनेगा भव्यता का प्रतीक
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए योगी सरकार अनेक अभिनव प्रयास कर रही है। इसी क्रम में पूरे मेला क्षेत्र को डेकोरेटिव लाइट्स से सजाया जा रहा है। 8 करोड़ की लागत से उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि. की ओर से पूरे मेला क्षेत्र में 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल का जाल बिछाया जा रहा है। संगम जाने वाली हर प्रमुख सड़क पर यह अलौकिक पोल और लाइट श्रद्धालुओं का स्वागत करती नजर आएगी। योगी सरकार का यह प्रयास न केवल श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभव देगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करेगा।
प्रमुख मार्गों पर अनूठी रोशनी का जादू
अधीक्षण अभियंता महाकुंभ मनोज गुप्ता ने बताया कि सीएम योगी की।मंशा के अनुरूप महाकुंभ को भव्य रूप देने के लिए विद्युत विभाग बड़े पैमाने पर कार्य कर रहा है। डेकोरेटिव लाइट्स और डिजाइनर पोल्स उसी का हिस्सा है। मेला क्षेत्र में लाल सड़क, काली सड़क, त्रिवेणी सड़क और परेड के सभी मुख्य मार्गों को आकर्षक डेकोरेटिव लाइट्स से रोशन किया जा रहा है। ये लाइट्स भगवान शंकर, गणेश और विष्णु को समर्पित हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और सौंदर्य का अनुभव कराएंगी।
8 करोड़ की भव्य परियोजना
अधिशाषी अभियंता अनूप सिंह ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में 8 करोड़ से ज्यादा की लागत से 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल लगाए जा रहे हैं। इस बार टेंपरेरी की बजाय स्थायी पोल्स का निर्माण किया गया है, जो महाकुंभ के बाद भी क्षेत्र की रौनक बनाए रखेंगे। हर पोल को कलश और देवी-देवताओं की आकृतियों से सजाया गया है, जो मेले के वातावरण को सांस्कृतिक वैभव से भर देंगे। 15 दिसंबर तक सभी डेकोरेटिव लाइट्स का कार्य संपन्न कर लिया जाएगा, जिसके बाद रात में मेला क्षेत्र की आभा देखते ही बनेगी।
विद्युत विभाग का अभिनव प्रयास
उन्होंने कहा कि महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के अनुभव को यादगार बनाने के लिए यह विद्युत विभाग की ओर से एक अभूतपूर्व पहल है। आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक प्रतीकों के मेल से यह परियोजना महाकुंभ को विश्वस्तरीय भव्य आयोजन का दर्जा देगी। महाकुंभ के लिए लगाए गए ये डेकोरेटिव पोल्स स्थायी रहेंगे, जिससे क्षेत्र में आने वाले पर्यटक भी लंबे समय तक इस भव्यता का आनंद ले सकेंगे। डेकोरेटिव लाइट्स से सजे इस महाकुंभ में हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक गर्व का अनुभव होगा। यह पहल महाकुंभ को भारतीय संस्कृति की भव्यता और आधुनिक विकास का अद्वितीय प्रतीक बनाएगी।
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