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नेशनल

देश में तंबाकू खाने वालों की संख्या 81 लाख घटी

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भोपाल, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)| देश में तंबाकू के धुआं रहित उत्पादों गुटखा व पान मसाले पर लगी रोक के सुखद नतीजे आने लगे हैं, तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या में 81 लाख की गिरावट आई है। यह खुलासा ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे 2016-17 में किया गया है।

खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों को निर्देश दिया है कि वे गुटखा और पान मसाले के उत्पादन और बिक्री पर लगी रोक को पूरी तरह लागू कराएं।

सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव सी.के. मिश्रा ने सभी राज्यों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों और संबंधित विभागों को इसी माह पत्र लिखकर कहा है कि भारत सहित विश्व में तंबाकू सेवन मौतों और बीमारियां के उन कारणों में है, जिन्हें बहुत हद तक रोका जा सकता है।

मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के 23 अक्टूबर, 2016 के निर्देश का हवाला देते हुए बिहार, कर्नाटक, मिजोरम, मध्यप्रदेश और केरल के मुख्य सचिवों को छोड़कर सभी राज्य के मुख्य सचिवों से कहा है कि वे खाद्य एवं सुरक्षा मानक अधिनियम, 2011 के अंतर्गत बनाए गए खाद्य एवं सुरक्षा मानक (निशेध और प्रतिबंध) विनियमन, 2011 के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करें।

इस विनियमन के नियम 2़2़ 4 में प्रावधान है कि तंबाकू और निकोटिन को हमारे भोजन उत्पादों के घटकों के रूप में शामिल नहीं किया जा सकता, इसलिए सभी गुटखा एवं पान मसाले जैसे खाद्य उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाई जाए, जिसमें घटक के रूप में तंबाकू और निकोटिन मौजूद हैं।

टाटा मेमोरियल अस्पताल के प्रोफेसर एवं कैंसर सर्जन डा़ॅ पकंज चतुर्वेदी ने बताया कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे 2016-17 में खुलासा किया गया है कि 29़6 प्रतिशत पुरुष, 12़8 प्रतिशत महिला और 21़ 4 प्रतिशत वयस्क वर्तमान में धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं।

सर्वे रिपोर्ट के आधार पर डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से तंबाकू उत्पादों, जैसे गुटखा, पान मसाले (तंबाकू और निकोटिन सहित) का उपयोग करने वालों की संख्या लगभग 81 लाख तक कम हो गई है।

वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस (वीओटीवी) के मध्यप्रदेश के पैटर्न डा़ॅ ललित श्रीवास्तव ने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि गुटखा की बिक्री पर प्रतिबंध को विफल करने और दंड से बचने के लिए, निर्माता अलग-अलग पाउचों में स्वादिष्ट चबाने वाले तंबाकू के साथ पान मसाला (बिना तंबाकू) बेच रहे हैं। ऐसा होने पर उपभोक्ता पान मसाला और तंबाकू एक साथ खरीद लेते हैं।

डॉ. श्रीवास्तव के मुताबिक, सचिव के निर्देशों में कहा गया है कि पहले से तैयार मिश्रण लेने के बजाय, तंबाकू कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं को गुटखा और पान मसाला उपलब्ध कराने का रास्ता खोज निकाला है। यह उपभोक्ताओं को जुड़वा पैक में बेचा जा रहा है। एक पैक में गुटखा होता है तो दूसरे में पान मसाला।

भारत सहित विश्व में तंबाकू सेवन से मौतें और बीमारियां बढ़ रही हैं, जिन्हें बहुत हद तक रोका जा सकता है। भारत में धुआं रहित तंबाकू के सेवन के कारण मृत्यु दर और रोगों में इजाफा हो रहा है। तंबाकू के कारण भारत में प्रति वर्श लगभग 10 लाख लोगों की मौतें होती हैं। उपलब्ध साक्ष्य बताते हैं कि विश्व में मुंह के कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज भारत में हैं।

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उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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