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आध्यात्म

धनतेरस धन-धान्य के साथ तंदरूस्ती का भी द्योतक

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नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)| धनतेरस के दिन लक्ष्मी व धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है।

मान्यता है कि इस दिन धन-धान्य की देवी लक्ष्मी का आगमन होता है। लेकिन बहुत कम लोग हैं जिन्हें यह पता है कि इस दिन आयुर्वेद के जनक महर्षि धनवंतरी की विधिवत पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार, इस बार धनतेरस 17 अक्टूबर को है, और इस दिन लक्ष्मी पूजन समय 7.19 बजे से लेकर 8.17 बजे तक है।

वैदिक ग्रेस फाउंडेशन के कॉस्मिक एस्ट्रोलॉजर विनायक भट्ट ने कहा कि धनतेरस के दिन महर्षि धनवंतरी की पूजा करने से न केवल स्वास्थ्य लाभ मिलता है, बल्कि जटिल रोगों से भी छुटकारा पाया जा सकता है।

भट्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो गई है और दवा का असर नहीं हो पाता है तो धनवंतरी की विधिवत पूजा से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पूजा के लिए ऊं धं धन्वन्तरये नम: मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति जानलेवा गंभीर रोग से पीड़ित है तो धनतेरस के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को लाभ मिलता है।

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आध्यात्म

पारंपरिक गीतों के बिना अधूरा है सूर्य उपासना का महापर्व छठ

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पटना| सूर्योपासना और लोकआस्था के महापर्व छठ की कल्पना कर्णप्रिय और सुमधुर गीत के बिना नहीं की जा सकती। इन पारंपरिक गीतों के जरिए न केवल भगवान की अराधना की जाती है, बल्कि इन गीतों के जरिए कई संदेश भी देने की कोशिश की जाती है।

चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को लेकर ऐसे तो कई गायक और गायिकाओं ने गीत गाए और लिखे हैं, परंतु चर्चित गायिका शारदा सिन्हा और अनुराधा पौडवाल के गीत आज भी घरों से लेकर छठ घाठों तक लोगों द्वारा सुने और गाए जाते हैं।

भगवान भास्कर की अराधना के छठ पर्व पर ‘पद्मश्री’ और ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रसिद्घ शारदा सिन्हा द्वारा गाया गीत ‘हो दीनानाथ’ आज भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए इस व्यस्त शहरी जिंदगी से समय निकालकर लोगों को भी छठ को अपनाने की बात कही गई है।

इसके अलावा गायिका अनुराधा पौडवाल की आवाज में ‘मारबै रे सुगवा’ भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए सुग्गा (तोते) को चेतावनी दी गई है कि वह भगवान के प्रसाद चढ़ाने के पहले फल को चोंच न मारे, वरना उसे मारा जा सकता है। इस गीत में भगवान को सर्वश्रेष्ठ मानकर उनकी अराधना की गई है।

इसी तर्ज पर शरादा सिन्हा द्वारा गाया गीत, ‘केलवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंडराय’ भी काफी चर्चित रहा है। इस गीत के जरिए भी तोते को हिदायत दी जाती है कि अगर पवित्रता भंग की तो इसका बुरा फल मिलेगा।

वैसे, छठ के गीतों में संदेश भी छिपा हुआ है। छठ पर्व के गीतों में बेटियों को विशेष महत्व दिया गया है। छठ पूजा के गीतों में बेटियों का स्वागत करते हुए ईश्वर से उनके मंगल की गुहार लगाई गई है। ‘रूनकी धुनकी बेटी मांगी ला, पढ़ल पंडितवा दामाद हे छठी मईया’ के जरिए छठी मईया से सुंदर, सुशील बेटी और विद्वान दामाद की कामना की जाती है।

इसी तरह ‘पांच पुतुर अन्न, धन, लक्ष्मी धियवा मांगबो जरूर’ में छठी मईया से यह प्रार्थना की गई है कि पांच पुत्र, अन्न, धन, लक्ष्मी और वैभव के साथ एक धियवा (बेटी) जरूर दें।

इसी तरह कर्णप्रिय गीत ‘हे छठी मईया’ न केवल व्रतियों (परबैतिनों) में ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि ये भी बताता है कि इस पर्व में जात पात का फर्क मिट जाता है। इस गीत में यह भी बताया गया है कि कैसे छोटी मोटी गलतियों को छठी मईया नजरअंदाज कर देती हैं।

लोक गायिका देवी के गाए छठ गीतों के अलबम ‘कोसी के दीवाना’, बहंगी छूट जाई’ की काफी मांग है। गायक पवन सिंह, कल्लू, आकांक्षा राय के गाने भी लोग पसंद कर रहे हैं।

 

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