प्रादेशिक
धूमधाम से आयोजित हुआ कूर्मि-क्षत्रिय मैरेज ब्यूरो का कार्यक्रम, दहेज प्रथा पर किया गया प्रहार
– वैवाहिक परिचायिका का हुआ विमोचन
लखनऊ। कूर्मि-क्षत्रिय (पटेल) मैरेज ब्यूरो की ओर से रविवार को वर-कन्या परिचय और वैवाहिक परिचायिका विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह वर्मा थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद राजेश वर्मा ने की। उन्होंने दहेज की प्रथा पर प्रहार करते हुए इसे स्वस्थ समाज व परिवार के लिए नुकसानदायक बताया।
राजधानी के रामाधीन सिंह कॉलेज स्थित उत्सव भवन प्रांगण में आयोजित इस वैवाहिक परिचय कार्यक्रम में परिवार के साथ आए युवक-युवतियां आर्कषण का केंद्र रहे। वैवाहिक परिचायिका का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह वर्मा ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। परिचायिका में लगभग 600 युवक-युवतियों का फोटो सहित पूर्ण विवरण प्रकाशित किया गया है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह वर्मा ने कहा कि विवाह योग्य सुयोग्य वर-वधू खोजना तथा उनके बारे में सही जानकारी हासिल करना कठिन कार्य है। इसका समाधान इस पुस्तक में मौजूद है। उन्होंने कहा कि पहले इस कार्य के लिए समाज के सम्भा्रंत अगुवा, बुजुर्ग लोगों से सलाह-मशविरा करके सुसंस्कारिक परिवार को प्रमुखता दी जाती थी परन्तु आज परिवेश में सम्बन्ध करने के मानक बदल गए हैं। ज्यादातर लोग दहेज को प्रमुखता देते हैं। उनकी शर्तें अलग-अलग होती हैं। संस्कार, खानदान, योग्यता आदि सब दहेज रूपी दानव से छोटा हो गया है, जो परिवार तथा स्वस्थ समाज के लिए कैंसर जैसा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सांसद राजेश वर्मा ने कहा कि आज विवाह के मानक बदले हैं। शादी के बारे में जानकारी करने पर लोग सबसे पहले प्रश्न करते हैं कि आपका बजट कितना है। लोग संस्कार, परिवार, बच्ची की योग्यता आदि के बारे में तब जानकारी लेते हैं जब रिश्ता उनके बजट के अनुकूल हो। वर्मा ने कहा कि यद्यपि दहेज का मानक स्वस्थ समाज व परिवार के लिए ठीक नहीं है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पूर्व उ0प्र0 शासन पूर्व प्रबन्ध विद्यालय वीपी सिंह ने कहा कि आज लोगों की मानसिकता संकीर्ण हो गई है। शिक्षा बढ़ी जरूर है लेकिन चकाचौंध में लोगों के विचार इतना बदले हैं कि कई बार लोग बच्चों की नापतौल के साथ ही स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद शादी की बात करते हैं जो उचित नहीं है क्योंकि बीमारी का लक्षण पहले से हो आवश्यक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस सबके लिए आवश्यक है कि लोग बच्चों के संस्कार और शिक्षा को प्राथमिकता दें तथा शिक्षा के प्रति जागरूक रहें।
वैवाहिक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विधानपरिषद सदस्य कांती सिंह ने कहा कि आज के समय में लड़कियां विवाह से ज्यादा करियर को प्रमुखता दे रही हैं जो बात तो ठीक है परन्तु बच्चों को चाहिए कि माता-पिता और उनकी चिंता को समझें, क्योंकि शादी-विवाह भी जिन्दगी का महत्वपूर्ण फैसला है। समय से शादी होने से न केवल दाम्पत्य जीवन सुखी रहता बल्कि उनको आगे अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा व शादी-विवाह में लाभ मिलता है।
सभा को आईएएस अधिकारी हीरालाल ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए तथा ऐसे कार्यक्रम प्रत्येक मंडल स्तर पर सम्पन्न होने चाहिए। उन्होंने सामूहिक विवाह कराने पर जोर दिया।
कार्यक्रम के दौरान कूर्मि समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीएम कटियार और और पार्षद सूर्यकुमार वर्मा ने भी लोगों को सम्बोधित किया। उन्होंने सामूहिक शादी कराने पर सहयोग की बात कही। कार्यक्रम में रामनरेश वर्मा (पूर्व सभापति नगर निगम) ने कहा कि शादी विवाह में अपव्यय बंद होना चाहिए। विवाह सामूहिक हो जिससे समय व धन दोनों की बचत हो। कार्यक्रम को नमिता कटियार ने भी सम्बोधित किया। इस मौके पर सचिव खुशीराम वर्मा ने कार्यक्रम में आये हुये अतिथियों का आभार जताया। उन्होंने बताया कि परिचायिका प्रकाशित होने के पूर्व 65 बच्चों के विवाह मैरेज ब्यूरो के माध्यम से सम्पन्न हो चुके हैं। कार्यक्रम का संचालन के0के0 वर्मा ने किया।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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