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उत्तराखंड

नगर निगम के खिलाफ जम कर नारेबाजी, प्रदर्शन

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नगर निगम के खिलाफ जम कर नारेबाजी, प्रदर्शन

उत्तराखंड। नगर निगम हमेशा ही अपनी कार्य करने के तरीके से सुर्ख़ियों में रहता है। कभी सफाई कर्मियों की हड़ताल कभी कोई अन्य विवाद, लेकिन निगम की कार्य शैली नहीं सुधरती। इसी को लेकर सोमवार को हल्द्वानी के राजपुरा की जनता ने अपनी मांगों को लेकर नगर निगम में जम कर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया।

लोगों का कहना था कि पूरे क्षेत्र में गन्दगी के ढेर लगे हुए हैं लेकिन नगर निगम में बार-बार शिकायत के बावजूद कोई भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देता जिस वजह से क्षेत्र की जनता बहुत परेशान है और पूरे क्षेत्र में गम्भीर संक्रमण का खतरा बना हुआ है। लोगों ने नगर निगम को चेतावनी हुए कहा कि यदि जल्द से जल्द इस समस्या का हल नहीं निकाला गया तो आंदोलन और उग्र किया जायेगा। महिलाओं ने इस प्रदर्शन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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