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नदी बचाओ आंदोलन आज के समय की जरूरत : योगी
लखनऊ, 26 सितम्बर (आईएएनएस/आईपीएन)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि नदी बचाओ आंदोलन केवल एक नारा नहीं, बल्कि आज के समय की जरूरत है।
यह मानवीय सृष्टि को बचाने का वृहद यज्ञ है। नदी है तो जल है और जल है तो जीवन है। इसमें शासन के स्तर पर ही नहीं, जनभागीदारी की भी आवश्यकता है। मुख्यमंत्री योगी मंगलवार को नदियों के संरक्षण के लिए चल रहे अभियान रैली फॉर रिवर्स कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा, नदी बचाओ आंदोलन केवल एक नारा नहीं, बल्कि आज के समय की जरूरत है। नदी अभियान केवल नारा नहीं है, यह मानवीय सृष्टि को बचाने का वृहद यज्ञ है। इसमें शासन के स्तर पर ही नहीं, जनभागीदारी आवश्यक है। इस अभियान को शासन के सहयोग के लिए आश्वस्त करता हूं।
उन्होंने कहा, उप्र में प्रयाग राज का महत्व संगम की वजह से है, लेकिन पुराणों में जिस सरस्वती का उल्लेख मिलता है, वह अस्तित्व में नहीं है। लखनऊ के पेयजल की जरूरत गोमती नदी है, लेकिन 26 नालों ने गोमती को विशुद्ध कर दिया है। कानपुर मे गंगा को मैला किया गया है।
योगी ने कहा, हमने नदियों को साफ करने की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नमामि गंगे योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है। हमारी सरकार ने आते ही गोमती के 36 नालों को रोकने के साथ उसके पानी को शुद्ध करने का काम तेजी से शुरू कर दिया है। अन्य नदियों पर भी काम शुरू हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, प्रदेश में 1.36 करोड़ वृक्ष लगाए गए है। गंगा नदी के किनारे विशेष अभियान चलाकर वृक्षारोपण किया गया। 2020 में हम लोग प्रयागराज में कुंभ का आयोजन करेंगे। गंगा यमुना के साथ-साथ वहां सरस्वती नदी का भी संगम होता है। जाजमऊ में गंगा सबसे अधिक प्रदूषित होती है, हम अर्धकुंभ से पहले ये सब ठीक कराएंगे।
कार्यक्रम में सद्गुरु महाराज ने कहा, आज के बच्चे कहते हैं कि हम सेल्फी युग के हैं। लेकिन हम लोग सेल्फिश युग के हैं। हमें आने वाली पीढ़ी को 50 साल पहले की धरती देनी होगी। आजादी के बाद 50 साल तक हम सर्वाइवल मोड में थे। बाद के 20 सालों में हमने विकास किया। इन्हीं 20 सालों में सारी गड़बड़ी हुई है। किसने गलती की, यह देखने की जरूरत नहीं है। बस अब आगे बढ़कर उस गलती को सही करना है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के अलावा, उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित कई लोगों ने शिरकत की। इसके अलावा सद्गुरु जग्गी वासुदेव महाराज और क्रिकेटर सुरेश रैना भी मौजूद रहे।
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मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।
गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।
शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।
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