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खेल-कूद

नहीं रहे हॉकी लीजेंड चरणजीत सिंह, टोक्यो ओलंपिक में दिलाया था गोल्ड

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हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार विजेता चरणजीत सिंह का निधन हो गया। उनकी उम्र 92 वर्ष थी। हॉकी इंडिया ने उनके निधन पर गुरूवार को गहरा शोक व्यक्त किया। दो बार के ओलंपियन, भारत के गौरवशाली दिनों का हिस्सा थे। एक करिश्माई हाफबैक, चरणजीत सिंह ने 1964 के टोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का नेतृत्व किया था। उन्होंने फाइनल में पाकिस्तान को हराया। वह रोम में 1960 के ओलंपिक खेलों में रजत जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे।

20 नवंबर 1929 को जन्मे चरणजीत सिंह कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, देहरादून और पंजाब विश्वविद्यालय के छात्र थे। अंतरराष्ट्रीय हॉकी में अपने शानदार करियर के बाद उन्होंने शिमला में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में फिजिकल एजुकेशन विभाग के निदेशक के रूप में काम किया। हॉकी इंडिया ने जून 2021 में टोक्यो ओलंपिक खेलों को लेकर हॉकी इंडिया फ्लैशबैक सीरीज के लिए उनका एक साक्षात्कार लिया था, तो उन्होंने 1964 में टोक्यो ओलंपिक के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल को याद किया था।

उन्होंने भावुकता के साथ कहा था, “उस समय के दौरान दोनों टीमों को सबसे मजबूत टीमों में माना जाता था और हमने उनके खिलाफ एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण आउटिंग की थी। इसके अलावा आप जानते हैं, जब आप पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हैं तो यह कितना भावुक हो जाता है, वह भी ओलंपिक फाइनल में। दोनों टीमों का गुस्सा शांत करने के लिए मैच को कुछ देर के लिए रोका भी गया। मैंने अपने साथियों से बात करने में समय बर्बाद करने के बजाय खेल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। हमारी कड़ी परीक्षा थी, लेकिन हमने शानदार कैरेक्टर दिखाया और 1-0 से मैच जीतने के बाद ऐतिहासिक स्वर्ण पदक के साथ स्वदेश लौटे।”

 

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खेल-कूद

पीएम मोदी से मिले युवा चेस वर्ल्ड चैंपियन डी गुकेश

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बिजी शेड्यूल में से समय निकालकर दुनिया के सबसे युवा चेस वर्ल्ड चैंपियन डी गुकेश से मुलाकात की है। इस दौरान PM ने डी गुकेश की तारीफ में बड़ी बातें कहीं।

बता दें कि 18 साल के डी गुकेश हाल ही में सिंगापुर में आयोजित हुई 2024 वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप के फाइनल में डिफेंडिंग चैंपियन चीन के चेस ग्रैंड मास्टर डिंग लिरेन को हराकर इतिहास रचा था। दरअसल वो सबसे क्रम के वर्ल्ड चेस चैंपियन बने थे। गुकेश से पहले नॉर्वे के मैगनस कार्लसन 22 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बने थे। डी गुकेश ने फाइनल में 14वीं बाजी में डिंग लिरेन को करारी शिकस्त दी थी और खिताब अपने नाम किया था।

पीएम मोदी से मिले डी गुकेश

बता दें कि डी गुकेश ने चीन के डिंग लिरेन के हराकर वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया था। 18 वर्षीय ग्रैंडमास्टर गुकेश चीन के डिंग लिरेन को 14वीं और अंतिम बाजी में हराया और विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। इतना ही नहीं डी.गुकेश इस खिताब को जीतने वाले सबसे युवा शतरंज खिलाड़ी बन गए हैं। बता दें कि गुकेश विश्वनाथ आनंद के बाद यह प्रतिष्ठित खिताब जीतने वाले पहले भारतीय भी बन गए हैं। विश्व चैंपियन बनने के बाद गुकेश अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सकें और आंखों से उनके खुशी के आंसू निकलने लगे। बता दें कि इस साल की शुरुआत में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतने के बाद वह विश्व खिताब के लिए चुनौती पेश करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने थे।

डी. गुकेश बोले- मेरा सपना पूरा हो चुका है

डी. गुकेश ने विश्व चैपियन बनने के बाद कहा कि वह पिछले 10 सालों से इस पल का सपना देख रहे थे और उन्हें खुशी है कि उनका यह सपना पूरा हो चुका है। बता दें कि इससे पूर्व रूस के दिग्गज गैरी कास्पारोव सबसे कम उम्र के चेस चैंपियन बने थे, जब उन्होंने साल 1985 में अनातोली कार्पोव को हराकर 22 साल की उम्र में खिताब जीता था। इस साल की शुरुआत में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट को जीतने के बाद गुकेश ने विश्व खिताब के लिए सबसे कम उम्र के चैलेंजर के रूप में प्रवेश किया था। वह दिग्गज विश्वनाथन आनंद के बाद ये खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं। बात साल 2013 में आखिरी बार पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथ आनंद यह खिताब जीता था।

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