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नाराज मायावती ने राज्यसभा से दिया इस्तीफा, यह थी वजह
नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। बसपा नेता का आरोप है कि उन्हें दलितों के खिलाफ अत्याचार का मुद्दा राज्यसभा में उठाने नहीं दिया गया। नाराज मायावती ने कहा था कि वह सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगी। इसके कुछ घंटों बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
राज्यसभा से बहिर्गमन के बाद मायावती ने संवाददाताओं से कहा था, “मैं इस सदन में दलितों और पिछड़ों की आवाज बनने और उनके मुद्दे उठाने के लिए आई हूं। लेकिन जब मुझे यहां बोलने ही नहीं दिया जा रहा, तो मैं यहां क्यों रहूं? इसलिए मैंने आज (मंगलवार) राज्यसभा से इस्तीफा देने का फैसला किया है।”
संसद के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को नाराज विपक्ष ने दलितों पर अत्याचार व किसानों की खुदकुशी सहित कई मुद्दों पर सरकार को आड़े हाथ लिया। लोकसभा में सरकार ने हंगामे के बीच तीन विधेयक- अचल संपत्ति का अधिग्रहण (संशोधन) विधेयक, 2017, प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष (संशोधन), 2017 तथा भारतीय पेट्रोलियम एवं ऊर्जा विधेयक, 2017 पेश किया।
मायावती ने दलितों पर अत्याचार के मुद्दे पर चर्चा की मांग की। उपसभापति पी.जे.कुरियन ने उन्हें कहा कि वह पूर्ण चर्चा की मांग पहले ही कर चुकी हैं और सदन को अपनी कार्यवाही आगे बढ़ाने दी जानी चाहिए।
उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार तथा मोदी नीत केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि सहारनपुर में मई महीने में जब दलितों के खिलाफ हिंसा की गई, उनके घरों को जलाया गया, तब दोनों ने चुप्पी साध रखी थी। हमले में 15 दलित घायल हुए थे।
उन्होंने कहा कि बसपा नेताओं को प्रभावित परिवारों से नहीं मिलने दिया गया। जब कुरियन ने मायावती को बोलना बंद करने के लिए कहा, तो उन्होंने कहा, “यदि मुझे बोलने नहीं दिया गया, अगर मैं उस बिरादरी का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती हैं, जिससे मैं ताल्लुक रखती हूं, अगर दलितों के खिलाफ अत्याचार पर मुझे मेरे विचारों को नहीं रखने दिया गया, तो इस सदन में रहने का कोई मतलब नहीं बनता। मैं इस्तीफा दे दूंगी। इसके बाद वह सदन से बाहर निकल गईं।”
उन्होंने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने आज राज्यसभा से इस्तीफा देने का फैसला किया है। मायावती ने कहा, “बाबासाहेब (भीम राव अंबेडकर) को बतौर कानून मंत्री हिदू आचारसंहिता विधेयक पेश नहीं करने दिया गया था और उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया गया था, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। मैं उनकी शिष्या हूं, इसलिए मैं इस्तीफा दे रही हूं, क्योंकि मुझे भी सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा।”
केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मायावती ने सदन का अपमान किया है और आसन को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि मायावती को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने मायावती का समर्थन करते हुए नकवी की टिप्पणी पर आपत्ति जताई।
आजाद ने कहा, “जब मायावती ने बोलने की कोशिश की, तब उनसे कहा गया कि ‘हमें जनादेश मिला है।’ हमें नहीं पता था कि भाजपा को अल्पसंख्यकों, दलितों के खिलाफ मॉब लिंचिंग के लिए जनादेश मिला है। हम ऐसी सरकार के साथ नहीं हैं।” इसके बाद आजाद सदन से बहिगर्मन कर गए। अन्य कांग्रेस नेता भी उनके पीछे-पीछे सदन से बाहर निकल गए। मार्क्?सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने भी कहा कि मायावती द्वारा उठाए गए मुद्दे बेहद ‘गंभीर’ हैं। हंगामा न रुकता देख, उपसभापति पी.जे. कुरियन ने दोपहर तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
जब सदन की कार्यवाही अपराह्न तीन बजे दोबारा शुरू हुई, तो कांग्रेस सदस्य एक बार फिर आसंदी के निकट आकर नारे लगाने लगे। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विपक्ष पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया। हंगामा थमता न देख सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
वहीं, लोकसभा में किसानों की दुर्दशा, गोरक्षकों से संबंधित घटनाओं सहित कई मुद्दों पर हंगामा हुआ, जिसके कारण अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े किसानों की दुर्दशा का मुद्दा उठाना चाहते थे, लेकिन महाजन ने प्रश्नकाल के दौरान उन्हें मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं दी।
कांग्रेस, वाम दल, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) तथा तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने अध्यक्ष की आसंदी के निकट आकर तख्तियां लहराई व नारे लगाए, जिसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, विपक्षी सदस्य एक बार फिर अध्यक्ष की आसंदी के निकट आ गए। कुछ सदस्यों ने तख्तियां ले रखी थीं, जिनपर ‘गो माता तो बहाना है, कर्जमाफी से ध्यान हटाना है’ तथा ‘विजय माल्या को भगाया, किसानों को रुलाया’ जैसे नारे लिखे हुए थे।
राज्य सरकार से ईमानदार अधिकारियों को बचाने की मांग को लेकर कर्नाटक के भाजपा सदस्यों ने भी तख्तियां ले रखी थीं। विधेयकों के पेश होने के बाद महाजन ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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