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नासा के क्षुद्रग्रह मिशन की अगली मंजिल अब मंगल

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NASA

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वाशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपने महत्वाकांक्षी एस्टेरॉयड रिडायरेक्ट मिशन (एआरएम) के तहत साल 2020 के मध्य तक कई नई क्षमताओं का परीक्षण करेगी। नासा ये परीक्षण भविष्य में मंगल सहित सुदूर अंतरिक्ष में मानव दल भेजने की संभावनाओं को देखते हुए कर रहा है। नासा ने एक बयान जारी कर घोषणा की है कि तीन साल पहले क्षुद्रग्रह अभियान की शुरुआत के बाद उसने पृथ्वी के निकट स्थित क्षुद्रग्रहों की खोज के अपने इस अभियान में 65 फीसदी तक की वृद्धि की है।

नासा के सहायक प्रशासक रॉबर्ट लाइटफुट ने कहा कि एआरएम अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं से संबंधित कई जानकारियां प्रदान करेगा, जिसकी जरूरत अंतरिक्ष यात्रियों को मंगल सहित सुदूर अंतरिक्ष में अन्वेषण के लिए भेजने के दौरान होगी। नासा ने इस मिशन के लिए तीन वैध क्षुद्रग्रह इतोकावा, बेन्नू तथा 2008 ईवी5 को चिह्नित किया है। संभावना है कि एजेंसी एक या दो अतिरिक्त उम्मीदवार को प्रतिवर्ष मिशन के लिए भेजेगी।

लक्षित क्षुद्रग्रह मिलने के बाद मानवरहित एआरएम अंतरिक्षयान उसकी सतह की तस्वीरें भेजने के लिए वहां रोबोट को तैनात करेगा। इस पूरे मिशन के दौरान एआरएम रोबोटिक अंतरिक्षयान कई क्षमताओं का परीक्षण करेगा, जिसकी आवश्यकता उन्नत सोलर इलेक्ट्रीक प्रोपल्शन (एसईपी) सहित भविष्य के मानव मिशन के दौरान होगी।

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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