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नेताओं-अफसरों को नहीं अखरा हाईकोर्ट का फैसला,स्वागत किया

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लखनऊ। अब सरकारी कर्मचारी,नौकरशाहों और जनप्रतिनिधियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे।ये आदेश दिया है इलाहाबाद हाईकोर्ट ने। आपको बतादें की इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक बड़ा फ़ैसला सुनाते राज्य सरकार को निर्देश दिया कि सभी नौकरशाहों,सरकारी कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों के लिए उनके बच्चों को सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़वाना अनिवार्य किया जाए।गौरतलब है की इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शिवकुमार पाठक की याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को आदेश दिया है की अगले सत्र से सरकारी तनख्वाह वाले कर्मचारी,अधिकारी,और जनप्रतिनिधि अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला कराएं। और सरकार इसके लिए एक कानून बनाये। कोर्ट में दाखिल की गयी याचिका में कहा गया था कि सरकारी परिषदीय स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति पर नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है जिसके चलते अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है। जिसकी वजह से  बच्चों को स्तरीय शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसकी चिंता ना तो सम्बंधित विभाग के अधिकारियों को है और ना ही प्रदेश के उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को है। फिलहाल उच्च न्यायालय के इस फैसले का सभी राजनैतिक दलों ने स्वागत किया है।

बसपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। इससे परिषदीय स्कूलों की व्यवस्था में सुधार आएगा। वहीं भाजपा विधायक सुरेश खन्ना ने फैसले को लेकर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा की जब सरकारी अफसरों और नेताओं के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे तो स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होगी। वहीं कांग्रेस विधायक प्रदीप माथुर ने इसे ऐतिहासिक फैसला करार देते हुए इसे पूरे देश में लागू किये जाने की बात कही। जबकि यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री की कुर्सी संभाल रहे अम्बिका चौधरी ने मामले पर चुप्पी साधते हुए पूरी डिटेल मिलने  कहते हुए पल्ला झाड़ लिया। हालांकि सूबे के वरिष्ठ आई एस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह ने इस फैसले को बताते हुए इसे लागू किये जाने की हिमायत की और इसे कोर्ट का कटाक्ष बताया।

फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सरकारी कर्मचारी, निर्वाचित जनप्रतिनिधि, न्यायपालिका के सदस्य एवं वे सभी अन्य लोग जिनको सरकारी खजाने से वेतन एवं लाभ मिलता है, वोअपने बच्चों को पढ़ने के लिए राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालयों में भेजें।न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने यह फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के लिए दंडात्मक प्रावधान किए जाएं।

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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