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अन्तर्राष्ट्रीय

नेपाल पर मंडरा रहा खाद्य संकट : विशेषज्ञ

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अनिल गिरि

काठमांडू। पिछले हफ्ते आए विनाशकारी भूकंप की त्रासदी झेल रहे नेपाल में अपर्याप्त खाद्य भंडार के कारण खाद्य संकट का खतरा मंडराने लगा है। दक्षेस खाद्य बैंक में भी अपर्याप्त खाद्य भंडार को देखते हुए विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी है।

नेपाल के वित्त मंत्री राम शरण महात ने कहा, “हमें भोजन चाहिए, न कि तिरपाल और तंबू।” उल्लेखनीय है कि नेपाल में यह विनाशकारी भूकंप ऐसे मौसम में आया है, जब वहां किसान धान और अन्य फसलों की बुवाई करने की तैयारी कर रहे थे। आपात स्थिति में भोजन उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से स्थापित दक्षेस देशों के खाद्य बैंक में भी पर्याप्त मात्रा में खाद्य भंडार उपलब्ध नहीं है।

दक्षेस देशों की 17वीं बैठक के दौरान सदस्य देशों ने बताया था कि दक्षेस फूड बैंक में 486,000 टन चावल का भंडार मौजूद है, जिसमें सभी सदस्य देशों का योगदान है। एक राजनयिक ने बताया, “भारत का इसमें सर्वाधिक 306,400 टन का योगदान है। लेकिन हमने दक्षेस फूड बैंक में पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न का भंडार नहीं रखा है।”

संयुक्त राष्ट्र कृषि संगठन (एफएओ) ने 25 अप्रैल को आए भूकंप को नेपाल में 80 वर्षों में आया सबसे भयावह भूकंप बताया है और कहा है कि नेपाल में 35 लाख लोगों को भोजन मुहैया कराने की जरूरत है। एफओए ने कहा है कि भूकंप से प्रभावित नेपाल के 80 लाख किसानों को फसलों को हुए नुकसान और धान की अगली फसल लेने के लिए तत्काल मदद की जरूरत है।

संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी ने बताया कि भूकंप के कारण नेपाल में कृषि क्षेत्र को हुए नुकसान का अभी आकलन किया जाना शेष है तथा कृषि पर निर्भर परिवारों को पशुधन, फसलों, खाद्य भंडार और कीमती कृषि साजो-सामान का नुकसान होने का अनुमान है। समाचार पत्र ‘काठमांडू पोस्ट’ ने अर्थशास्त्री मदन दहाल के हवाले से कहा, “चूंकि धान की बुवाई से ठीक पहले यह भूकंप आया है, इसलिए देश में खाद्यान्न उत्पादन की दिशा में भूकंप से प्रभावित किसानों को प्रभावी मदद मुहैया कराने की जरूरत है।”

उन्होंने कहा कि किसान तभी खेतों की और लौटेंगे जब उनका प्रभावी तरीके से पुनर्वास किया जाए। दहाल ने कहा कि हमारी तरह वर्षा सिंचित अर्थव्यवस्थाओं में चूंकि मानसून बेहद अहम होता है, इसलिए मानसून के समय में मामूली परिवर्तन का भी कुल खाद्यान्न उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है। नेपाल में इस वर्ष मानसून देर से आने और बेमौसम बारिश के कारण पिछले वर्ष की तुलना में धान का उत्पादन 258,435 टन कम हुआ है तथा मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती आठ महीने में ही नेपाल 33 फीसदी अधिक 22.48 अरब रुपये के खाद्यान्न का आयात कर चुका है। एफएओ ने भूकंप आने से पहले ही नेपाल में इस वर्ष गेहूं की पैदावार पिछले वर्ष की तुलना में पांच फीसदी कम रहने का अनुमान व्यक्त किया था, जिसके अब और भी कम रहने की संभावना है।

अन्तर्राष्ट्रीय

लाहौर में प्रदूषण ने तोड़े सारे रिकार्ड, 1900 तक पहुंचा AQI, स्कूल बंद

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नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान में प्रदूषण ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। पाकिस्तान के लाहौर शहर का AQI 1900 पहुंच गया है जो शहर में अब तक का सबसे ज्यादा एक्यूआई है। प्रांतीय सरकार और स्विस समूह IQAir द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को पाकिस्तान-भारत सीमा के पास अब तक का सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया। इसी के साथ लाहौर रविवार को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की रियल टाइम सूची में पहले नंबर पर पहुंच गया।

बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए लाहौर में आपातकाल जैसा माहौल है। वायु की खतरनाक गुणवत्ता को देखते हुए लाहौर प्रशासन ने वर्क फ्रॉम होम करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही विभिन्न शहरों में प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की घोषणा की गई है। वहीं पंजाब की वरिष्ठ मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा है कि, सरकार ने माता-पिता को यह सुनिश्चित करने की सलाह देते हुए प्राथमिक विद्यालयों को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया है कि बच्चे मास्क पहनें, क्योंकि शहर में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है। उन्होंने कहा कि वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए 50 प्रतिशत कार्यालय कर्मचारी घर से काम करेंगे।

मरियम औरंगजेब ने आगे कहा है कि पिछले एक सप्ताह से भारत से हवा की दिशा लाहौर की ओर हो गई है और इस वजह से धुंध बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हवाएं अमृतसर और चंडीगढ़ से आ रही हैं और इस वजह से लाहौर में AQI लगातार बिगड़ता जा रहा है।
मरियम ने कहा है कि अगर हालत और खराब हुए तो शहर में उद्योगों को बंद कर दिया जाएगा। यहां तक कि पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार किया जाएगा। कुछ इसी तरह की कार्रवाई भारत की हरियाणा और पंजाब सरकार भी कर रही है, जहां पराली जलाने को लेकर बड़ी संख्या में किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं।

 

 

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