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पंजाब में फल-फूल रही 5000 साल पुरानी ज्योतिष परंपरा
होशियारपुर| पंजाब में यहां लगभग पांच हजार साल पुरानी ज्योतिष परंपरा आज तक फल-फूल रही है। इसे मानने वाले देश ही नहीं, कई देशों के लोग हैं, जो भारत आने पर इसका लाभ लेने से नहीं चूकते। राजनीतिज्ञ से लेकर फिल्म अभिनेता तक ज्योतिषियों की गली आकर अपना भूत-भविष्य पता कर चुके हैं।
पंजाब के रेलवे मंडी इलाके में एक पता पूछने पर आपको शायद ही कोई जवाब दे, लेकिन अगर आप ‘भृगु’ नाम लें तो झटपट पते का इशारा मिल जाएगा।
भृगु शास्त्री को ढूंढने वालों के लिए ‘भृगुअन दी गली’ (भृगु ज्योतिषियों का रास्ता) ही मंजिल है। यहां तक पहुंचने वालों में देश के विभिन्न हिस्सों के लोग ही नहीं, बल्कि विदेशी भी शामिल हैं।
तकनीक के इस दौर में आधुनिक ज्योतिषियों द्वारा इंटरनेट से भीषण चुनौतियां मिलने के बावजूद ये ‘भृगु संहिता’ पर ही भरोसा करते हैं। भृगु संहिता लगभग पांच हजार साल पुराना एक धार्मिक ग्रंथ है, जिसे ऋषि भृगु ने लिखा था।
भृगु शास्त्री रामानुज शर्मा ने यहां आईएएनएस से कहा, “देश व दुनिया भर से लोगों का यहां आना जारी है। यहां आने वाले लोगों में विदेशी व एनआरआई भी हैं।”
संस्कृत में डॉक्टर की उपाधि रखने वाले शर्मा ने कहा, “भृगु परंपरा में विदेशी अपार विश्वास करते हैं। वे पारंपरिक संकल्पनाएं जैसे बृघु ज्योतिष, ध्यान व शाकाहारवाद सीखते हैं। हर धर्म के लोग भृगु परंपरा को मानते हैं।”
उन्होंने कहा कि भृगु संहिता तीन परिवारों के साझा भंडार में सुरक्षित रखा गया है।
शर्मा ने कहा, “ग्रंथ को एक स्टोर रूम में रखा गया है और वह कई टन वजनी है। उपलब्ध पृष्ठों के लिए एक सूचकांक तैयार किया गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर संबंधित हिस्से को देखा जा सके।”
जब कोई व्यक्ति भृगु शास्त्री को अपना नाम, जन्म तिथि, माता-पिता का नाम जैसी जानकारियां देता है, उसके बाद भृगु संहिता में उससे संबंधित जानकारियां ढूंढी जाती हैं।
उन्होंने कहा, “जब नाम मिल जाता है, तो व्यक्ति को बुलाया जाता है और उसे उसका अतीत व भविष्य बताया जाता है।”
राजनीतिज्ञ जैसे पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी तथा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लास एवं फिल्म अभिनेताओं में धर्मेद्र, हेमा मालिनी, संजय दत्त जैसे सितारे भृगु शास्त्रियों से यहां आकर मिल चुके हैं। लेकिन गं्रथ से सभी के बारे में जानकारियां प्राप्त नहीं की जा सकीं।
होशियारपुर के एक निवासी भगवंत सिंह ने आईएएनएस से कहा, “मैंने अपना रिकॉर्ड चेक किया है। उसका कुछ हिस्सा सही था, जबकि मेरे जीवन के कुछ पहलू उसमें मौजूद नहीं थे। मैं आंखें मूंदकर उसमें विश्वास नहीं कर सकता। लेकिन कुछ लोग इस पर बेहद विश्वास करते हैं।”
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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