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पटना के 98 वर्षीय बुजुर्ग को मिली एमए की डिग्री

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पटना, 26 दिसंबर (आईएएनएस)| अगर मनुष्य कुछ करने को ठान ले, तो मंजिल तक पहुंचने में उम्र कभी आड़े नहीं आती। ऐसा ही कुछ साबित कर दिखाया है पटना के राजकुमार वैश्य ने, जिसने 98 वर्ष की उम्र में स्नातकोत्तर (एमए) की डिग्री हासिल कर समाज को एक संदेश दिया है।

बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मंगलवार को नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बुजुर्ग वैश्य को स्नातकोत्तर की डिग्री प्रदान की।

पटना के राजेंद्र नगर के रोड नंबर पांच में रहने वाले राजकुमार वैश्य को अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री मिली है। उन्होंने इसी साल सितंबर में हुई परीक्षा द्वितीय श्रेणी से पास की। मंगलवार को जब वह अपनी डिग्री लेने पहुंचे, तो लोगों ने उनका स्वागत किया।

वैश्य ने कहा, किसी भी इच्छा को पूरा करने में उम्र कभी आड़े नहीं आती। मैंने अपना सपना पूरा कर लिया है। अब मैं पोस्ट ग्रैजुएट हूं। मैंने दो साल पहले यह तय किया था कि इस उम्र में भी कोई अपना सपना पूरा कर सकता है।

उन्होंने नवयुवकों को खुद संघर्ष कर जीतने की मिसाल बनने की सलाह देते हुए कहा कि नई पीढ़ी को जिंदगी में हमेशा कोशिश करते रहना चाहिए।

वैश्य का जन्म सन् 1920 में उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ था। मैट्रिक और इंटर की परीक्षा उन्होंने बरेली से ही साल 1934 और साल 1936 में पास की थी। इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से 1938 में ग्रेजुएशन की परीक्षा पास की और यहीं से कानून की भी पढ़ाई की। इसके बाद झारखंड के कोडरमा में नौकरी लग गई। कुछ ही दिनों बाद उनकी शादी हो गई।

वैश्य ने बताया, वर्ष 1977 में नौकरी से रिटायर होने के बाद मैं बरेली चला गया। घरेलू काम में व्यस्त रहा, बरेली में रहा, बच्चों को पढ़ाया, लेकिन अब मैं अपने बेटे और बहू के साथ रहता हूं। उम्र काफी हो गई, लेकिन एमए की पढ़ाई करने की इच्छा खत्म नहीं हुई थी।

उन्होंने कहा, मैंने एक दिन अपने दिल की बात अपने बेटे और बहू को बताई। बेटे प्रोफेसर संतोष कुमार और बहू भारती एस. कुमार दोनों प्रोफेसर की नौकरी से रिटायर हो चुके हैं। वे दोनों भी इसके लिए तैयार हो गए और आज मेरी इच्छा पूरी हो गई।

वैश्य ने अपनी सफलता का श्रेय बहू भारती और बेटे संतोष कुमार को दिया और कहा, यह हमारे लिए गर्व का क्षण है।

वहीं, संतोष ने कहा, पिताजी ने एमए करने की इच्छा जताई थी, तब मैंने नालंदा खुला विश्वविद्यालय से संपर्क किया था और उनका नामांकन कराया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने खुद घर आकर पिताजी के नामांकन की औपचारिकताएं पूरी की थीं।

नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आऱ क़े सिन्हा ने विश्वविद्यालय के इतिहास में इसे स्वर्णिम दिन करार दिया है।

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नेशनल

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की हार पर बोलीं कंगना रनौत, उनका वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था

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मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को मिली प्रचंड जीत ने विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में शामिल पार्टियों को चारों खाने चित कर दिया है। महाराष्ट्र में पार्टी की प्रचंड जीत पर बीजेपी की सांसद कंगना रनौत काफी खुश हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे की हार पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कंगना ने कहा कि महिलाओं का अपमान करने की वजह से उनका ये हश्र हुआ है। मुझे उनकी हार का अनुमान पहले से ही था।

कंगना रनौत ने कहा, “मुझे उद्धव ठाकरे की हार का अनुमान पहले ही था। जो लोग महिलाओं का अपमान करते हैं, वे राक्षस हैं और उनका भी वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था। वे हार गए, उन्होंने महिलाओं का अपमान किया। मेरा घर तोड़ दिया और मेरे खिलाफ अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया, इसलिए यह स्पष्ट है कि वे सही और गलत की समझ खो चुके हैं।

बता दें कि कंगना रनौत और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के बीच 2020 में तब कड़वाहट भरी झड़प हुई थी, जब तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के नेतृत्व वाली बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने उनके बांद्रा स्थित बंगले में कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया था। अपने बंगले में तोड़फोड़ की कार्रवाई से पहले रनौत ने यह भी कहा था कि उन्हें “मूवी माफिया” से ज्यादा मुंबई पुलिस से डर लगता है और उन्होंने महाराष्ट्र की राजधानी की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की थी।

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