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पता नहीं किस हाल में जाधव, पाक से मांगी गई है रिपोर्ट : भारत

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नई दिल्ली। पाकिस्तान में कथित तौर पर जासूसी के आरोप में फांसी की सजा पाए भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को लेकर एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि वह किस हाल में हैं, यह जानना जरूरी है। पता नहीं, वह किस हाल में हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हमने न तो उन्हें (जाधव) देखा और न ही सुना, जबकि वह एक साल से अधिक समय से पाकिस्तान की हिरासत में हैं।”

उन्होंने कहा, “जाधव का स्वास्थ्य गंभीर चिंता का विषय है।” प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त गौतम बंबावले ने बुधवार को एक बार फिर पाकिस्तान सरकार से जाधव के स्वास्थ्य पर रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा, “हम पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।” भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को कथित तौर पर मार्च 2016 में बलूचिस्तान में गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान ने उन पर जासूसी करने का आरोप लगाया है। सेना की एक अदालत ने 10 अप्रैल को उन्हें मौत की सजा सुनाई थी।

भारत, पाकिस्तान से बुधवार से लेकर अब तक 16 बार जाधव तक राजनयिक पहुंच बनाने का मौका देने की मांग कर चुका है, लेकिन पाकिस्तान ने हर बार इनकार किया है। बागले ने गुरुवार को प्रेसवार्ता में कहा कि जाधव की मां ने पाकिस्तान के वीजा के लिए आवेदन किया है। भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार से कहा है कि इस आवेदन को स्वीकार कर लिया जाए, मगर पाकिस्तान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

उन्होंने कहा, “दस्तावेज, विवरण, आरोपपत्र, सबूत इत्यादि के रूप में हमें पाकिस्तान सरकार से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं मिला है। हमें तो यह भी नहीं पता कि उनका बचाव किसने किया।” बागले ने कहा कि न सिर्फ उनके हालचाल की, बल्कि उन्हें न्याय मिलने को लेकर भी गहरी चिंता है।

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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