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बिजनेस

‘परियोजना प्रबंधन कौशल से बचेंगे 1.71 लाख करोड़ रुपये’

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नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| भारत एक बढ़ती अर्थव्यवस्था है और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे प्रमुख कार्यक्रमों की सफलता देश के विकास की गति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। अगर हम समय और लागत को नियंत्रित करने के लिए परियोजना प्रबंधन की सिद्ध विधियों और तकनीकों का पालन करें, तो इससे 1.71 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। यह बातें प्रोजेक्ट मैनेजर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. ए. एस. पिल्लई ने कही। उन्होंने यह बातें यहां आयोजित परियोजना प्रबंधक वैश्विक सम्मेलन के दौरान कही, जिसका आयोजन 21 और 22 अगस्त को किया जा रह है। इस सम्मेलन का विषय है- सक्षम परियोजना प्रबंधन के माध्यम से सतत विकास का अनुमान।

डॉ. पिल्लई ने कहा कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने परियोजना विलंब के कारण लगभग 1.71 लाख करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया है। उन्होंने कहा, यह दुख की बात है कि देश केवल ऐसी अक्षमता और प्रशिक्षण कौशल की कमी के कारण ही बड़ी राशि खो रहा है।

इस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के अध्यक्ष ए. एस. किरण कुमार ने कहा, परियोजना प्रबंधक प्रशिक्षण कोई नया विचार नहीं है। यह सालों से हैं। अंतरिक्ष कार्यक्रम में संस्थान परियोजना प्रबंधन दृष्टिकोण साराभाई ने शुरू किया था। हम सभी को इसमें प्रशिक्षित किया गया है और यही कारण है कि हमारे कार्यक्रम सफल रहे हैं।

परियोजना प्रबंधन के प्रमाणीकरन को अनिवार्य बताते हुए डॉ. पिल्लई ने कहा कि सरकार को इस बारे में कुछ करना चाहिए। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि इस संबंध में सरकार कुछ करेगी।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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