मनोरंजन
पशुओं के प्रति प्यार ने दी कामयाबी : निगेल मार्वेन
नई दिल्ली| विश्व प्रसिद्ध प्रकृतिवादी एवं टीवी प्रस्तुतकर्ता निगेल मार्वेन का कहना है कि विचित्र पशुओं के प्रति उनके प्यार ने उन्हें जीवन में इस सुखद मुकाम तक पहुंचाया है।
मार्वेन ने लंदन से टेलीफोन साक्षात्कार के जरिए आईएएनएस को बताया, “मुझे कुत्ते और बिल्लियों की अपेक्षा सांप जैसे जीव आकर्षक लगते हैं। उनके रंग और जीवित रहने की उनकी अद्भुत रणनीतियों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।” वह भारत के सर्वाधिक जहरीले सांपों की खोज में यहां आ चुके हैं।
मार्वेन कहते हैं कि बचपन में वह खिलौना गाड़ी से कभी नहीं खेले। इसके बजाए वह ब्रिटेन में अपने घर में कीड़ों (स्टिक कीड़ा) का पीछा किया करते थे। उस समय उनकी उम्र महज आठ वर्ष थी।
इसके बाद उनकी जंगली जानवरों, विशेष रूप से सांपों के प्रति रुचि बढ़ी।
उन्होंने बताया कि अपनी भारत यात्रा के दौरान उन्होंने पश्चिमी घाट पर बहुतायत मात्रा में मिलने वाले बिच्छू और रंग-बिरंगी तितलियों, अंडमान के समुद्री सांप और कोबरा सांपों की विभिन्न प्रजातियां देखीं।
उन्होंने बताया कि अंडमान द्वीप पर पाए जाने वाले सर्वाधिक जहरीले समुद्री सांपों द्वारा मेरी नाक को चूमने वाला पल मुझे याद है।
मार्वेन कहते हैं किचेन्नई की इरूला जनजाति के लोगों को विषैले सांपों को पकड़ने में महारत हासिल है, वे भारत सरकार के लिए विषरोधक दवाओं के लिए इन विषैले सांपों को पकड़ते हैं। इन लोगों की मदद से मुझे सर्वाधिक जहरीले सांपों का पता लगाने में मदद मिली और ये जहरीले सांप मेरी घातक सांपों की फेहरिस्त में शीर्ष तीन पर हैं।
उन्होंने बताया कि भारत में सांपों की 300 से अधिक विभिन्न प्रजातियां हैं, जिसमें 50 से अधिक विषैले सांपों की प्रजातियां हैं। वह अपना अनुभव साझा करते हुए कहते हैं जब तक कोई भारतीय सांपों को नुकसान नहीं पहुंचाए, तब तक ये आसानी से काटते नहीं हैं।
मार्वेन कहते हैं कि भारतीय किसान खेतों में सांपों के होने की बात से भलीभांति परिचित होने के बावजूद वहां काम करने जाते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि चूहों को खेतों से दूर रखने के लिए यह पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है।
मार्वेन ने कहा, “भारत वन्यजीव बहुल क्षेत्र है, इसे संरक्षित रखने की जरूरत है।”
मार्वेन का प्लैनेट चैनल पर प्रसारित होने वाला शो ‘डेडलिएस्ट स्नेक्स विद निगेल मार्वेन’ खासा लोकप्रिय है।
उत्तर प्रदेश
डेकोरेटिव लाइट्स से महाकुंभ बनेगा भव्यता का प्रतीक
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए योगी सरकार अनेक अभिनव प्रयास कर रही है। इसी क्रम में पूरे मेला क्षेत्र को डेकोरेटिव लाइट्स से सजाया जा रहा है। 8 करोड़ की लागत से उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि. की ओर से पूरे मेला क्षेत्र में 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल का जाल बिछाया जा रहा है। संगम जाने वाली हर प्रमुख सड़क पर यह अलौकिक पोल और लाइट श्रद्धालुओं का स्वागत करती नजर आएगी। योगी सरकार का यह प्रयास न केवल श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभव देगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करेगा।
प्रमुख मार्गों पर अनूठी रोशनी का जादू
अधीक्षण अभियंता महाकुंभ मनोज गुप्ता ने बताया कि सीएम योगी की।मंशा के अनुरूप महाकुंभ को भव्य रूप देने के लिए विद्युत विभाग बड़े पैमाने पर कार्य कर रहा है। डेकोरेटिव लाइट्स और डिजाइनर पोल्स उसी का हिस्सा है। मेला क्षेत्र में लाल सड़क, काली सड़क, त्रिवेणी सड़क और परेड के सभी मुख्य मार्गों को आकर्षक डेकोरेटिव लाइट्स से रोशन किया जा रहा है। ये लाइट्स भगवान शंकर, गणेश और विष्णु को समर्पित हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और सौंदर्य का अनुभव कराएंगी।
8 करोड़ की भव्य परियोजना
अधिशाषी अभियंता अनूप सिंह ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में 8 करोड़ से ज्यादा की लागत से 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल लगाए जा रहे हैं। इस बार टेंपरेरी की बजाय स्थायी पोल्स का निर्माण किया गया है, जो महाकुंभ के बाद भी क्षेत्र की रौनक बनाए रखेंगे। हर पोल को कलश और देवी-देवताओं की आकृतियों से सजाया गया है, जो मेले के वातावरण को सांस्कृतिक वैभव से भर देंगे। 15 दिसंबर तक सभी डेकोरेटिव लाइट्स का कार्य संपन्न कर लिया जाएगा, जिसके बाद रात में मेला क्षेत्र की आभा देखते ही बनेगी।
विद्युत विभाग का अभिनव प्रयास
उन्होंने कहा कि महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के अनुभव को यादगार बनाने के लिए यह विद्युत विभाग की ओर से एक अभूतपूर्व पहल है। आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक प्रतीकों के मेल से यह परियोजना महाकुंभ को विश्वस्तरीय भव्य आयोजन का दर्जा देगी। महाकुंभ के लिए लगाए गए ये डेकोरेटिव पोल्स स्थायी रहेंगे, जिससे क्षेत्र में आने वाले पर्यटक भी लंबे समय तक इस भव्यता का आनंद ले सकेंगे। डेकोरेटिव लाइट्स से सजे इस महाकुंभ में हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक गर्व का अनुभव होगा। यह पहल महाकुंभ को भारतीय संस्कृति की भव्यता और आधुनिक विकास का अद्वितीय प्रतीक बनाएगी।
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