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प्रादेशिक

पश्चिम बंगाल में निकाय चुनाव के लिए मतदान

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कोलकाता| पश्चिम बंगाल में शनिवार को चार स्थानों पर स्थानीय निकाय चुनाव के लिए मतदान हो रहे हैं। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके मद्देनजर इन चुनावों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

राज्य में निकाय चुनाव बर्दवान जिले के आसनसोल नगर निगम, उत्तरी 24 परगना जिले के विधाननगर नगर निगम और दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी महाकुमा परिषद में हो रहे हैं।

पूर्ववर्ती बल्ली नगरपालिका के 16 वार्डो में के लिए भी चुनाव हो रहे हैं, जिसका विलय अब हावड़ा नगर निगम में कर दिया गया है।

इसके अलावा, कुछ ग्रामीण निकाय की सीटों के लिए भी उपचुनाव हो रहे हैं, जिनमें जिला परिषद की दो सीटें, पंचायत समितियों की 72 सीटें और ग्राम पंचायतों की 341 सीटें शामिल हैं।

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आसनसोल और विधाननगर में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी पर हिंसा फैलाने और बूथ लूट का आरोप लगाया है।

राज्य के पूर्व मंत्री और विधाननगर में माकपा के महापौर पद के उम्मीदवार असीम दासगुप्ता ने आरोप लगाया कि बड़ी संख्या में बाहरी लोग मतदान केंद्रों में प्रवेश कर रहे हैं और उचित मतदाताओं को मतदान करने से रोका जा रहा है।

तृणमूल कांग्रेस ने हालांकि इन आरोपों से इंकार किया है।

इस स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे सात अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश

50 साल पुरानी मस्जिद को हटाने का आदेश, मस्जिद के मुतवल्ली पर 4.12 लाख रुपये का जुर्माना

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बागपत। बागपत के राजपुर खामपुर गांव में 50-60 साल पहले तालाब की जमीन पर बनी अवैध मस्जिद को हटाने का आदेश जारी हुआ है। तहसीलदार की अदालत में सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया गया, जिसमें मस्जिद के मुतवल्ली पर 4.12 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

विवाद कैसे शुरू हुआ?

गांव के निवासी गुलशार ने जुलाई में हाईकोर्ट में विशेष याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने मुतवल्ली पर आरोप लगाया कि उन्होंने गांव के तालाब की जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण किया है। गुलशार का कहना था कि तालाब की जमीन पर मस्जिद का निर्माण करके मुतवल्ली ने सरकारी संपत्ति का अतिक्रमण किया है, इसलिए इसे हटाया जाना चाहिए।

कोर्ट की सुनवाई और फैसला

हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्व संहिता के आधार पर कार्रवाई करने का आदेश दिया। आदेश में 90 दिन के अंदर मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद, डीएम के आदेश पर तहसीलदार ने मस्जिद की जमीन की माप कराई, जिसमें पाया गया कि मस्जिद वास्तव में तालाब की जमीन पर स्थित है।

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