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अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान में 7 साल बाद गणतंत्र दिवस परेड

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इस्लामाबाद | पाकिस्तान में सोमवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर सात साल बाद सेना की परेड हुई। इससे पहले 2008 के गणतंत्र दिवस समारोह में सेना की परेड हुई थी। बीच में सुरक्षा कारणों से इसे बंद कर दिया गया था। पाकिस्तान के गणतंत्र दिवस को पाकिस्तान दिवस भी कहा जाता है। पाकिस्तान के लाहौर में 23 मार्च, 1940 को लाहौर के एक मैदान में लाहौर प्रस्ताव पारित हुआ था, जहां अब मीनार-ए-पाकिस्तान स्थित है। लाहौर प्रस्ताव को अब पाकिस्तान प्रस्ताव भी कहा जाता है।

यह प्रस्ताव ब्रिटिश भारत के पश्चिमोत्तर और पूर्वी हिस्सों के मुसलमानों के लिए स्वतंत्र राज्य के निर्माण के लिए था। समाचारपत्र ‘डॉन’ की वेबसाइट के मुताबिक, इस बार गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन नए परेड मैदान में हुआ, जहां परेड में थलसेना, नौसेना और वायुसेना तीनों के सैनिकों ने हिस्सा लिया। इससे पहले गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन संसद भवन के सामने परेड एवेन्यू में और उससे पहले रावलपिंडी के रेसकोर्स में होता था। परंपरा के अनुसार, कवि अल्लामा मुहम्मद इकबाल और पाकिस्तान के जनक मुहम्मद अली जिन्ना के मकबरों पर चेंज ऑफ गॉर्ड करने बाद माल्यार्पण किया गया। पूरे देश के मुख्य सरकारी और निजी भवनों की छतों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया।

इस्लामाबाद में सुरक्षा कारणों से सेलफोन, वायरलेस इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं। इसके अलावा राजधानी में शादी समारोह, आतिशबाजी, पतंग उड़ाने और कबूतर उड़ाने सहित बहुत-सी गतिविधियां प्रतिबंधित रहीं। इस्लामाबाद के सभी प्रवेश और निकास मार्गो पर कड़ी जांच की गई। पाकिस्तान दिवस के मौके पर इस्लामाबाद और सभी प्रांतीय राजधानियों में सूर्योदय से पहले 31 बंदूकों की सलामी दी गई।

अन्तर्राष्ट्रीय

मक्का में भीषण गर्मी से अब तक 1300 से अधिक हज यात्रियों की मौत, 98 भारतीय भी शामिल

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नई दिल्ली। सऊदी अरब में भीषण गर्मी से मरने वाले हाजियों की संख्या 1300 के पार हो गई है। कई वीडियो वायरल हुए हैं जिसमें सड़क पर हाजियों के शव पड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। रविवार को सऊदी अरब ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि हज यात्रा के दौरान इस साल कम से कम 1301 लोगों की मौत हुई है। जिनमें गर्मी के कारण कई लोगों की जान गई। जबकि पांच में से चार लोगों की जान “अनधिकृत” यात्राओं के कारण हुईं. सऊदी अरब सरकार ने एक बयान में कहा कि, “इस साल गर्मी ने स्वास्थ्य प्रणाली को प्रभावित किया, जिससे कई लोग परेशान हो गए। अफसोस की बात ये है कि इस दौरान 1,301 लोगों की मौत हो गई।

सरकारी टीवी अल अखबरिया से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि 95 तीर्थयात्रियों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है, जिनमें से कुछ को इलाज के लिए हवाई मार्ग से राजधानी रियाद लाया गया है। समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, उन्होंने कहा कि मृत तीर्थयात्रियों की पहचान प्रक्रिया में देरी हुई क्योंकि कई के पास कोई दस्तावेज नहीं थे। उन्होंने बताया कि मृतकों को मक्का में दफनाया गया, लेकिन इस बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी। इस साल हज के दौरान 98 भारतीय तीर्थयात्रियों की मौत हुई है। मृतकों में सबसे बड़ी संख्या मिस्र के तीर्थयात्रियों की है। मिस्र के 660 से अधिक नागरिकों की मौत हुई है। काहिरा में दो अधिकारियों ने बताया कि 31 को छोड़कर सभी गैर-पंजीकृत तीर्थयात्री थी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कहा गया है कि मृतक लोगों में कई बुजुर्ग और लंबे समय से बीमार व्यक्ति शामिल हैं। इस साल हज यात्रा के दौरान सैकड़ों मौतों और चोटों के पीछे अत्यधिक गर्मी को मुख्य वजह बताया गया। बीते सोमवार को मक्का में तापमान 51.66 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। बता दें कि इस साल सऊदी अरब प्रशासन ने हज यात्रा के लिए दुनियाभर के 18 लाख लोगों को हज पर आने की इजाजत दी थी। इसमें हजारों ऐसे यात्री भी शामिल हुए जिन्हें हज के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया था। जिसके चलते उन्हें हज यात्रियों जैसी सुविधाएं नहीं मिली। इसलिए वह खुले आसमान में रहने को मजबूर हो गए। साथ ही उन्हें अधिकृत रूप से हाजियों को ले जाने वाली बसों में भी यात्रा का लाभ नहीं जिसके चलते ये लोग गर्मी का शिकार हो गए और कई की इसमें जान चली गई।

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