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‘क्रिकेट के रनों के समान नहीं है इसरो का रिकॉर्ड’

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बेंगलुरू। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पिछले सप्ताह ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के माध्यम से एक साथ 104 उपग्रहों को छोड़ कर रूस के 37 उपग्रहों के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए इतिहास रच दिया। लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह महज रिकॉर्ड बनाने के मकसद से नहीं किया गया।

एक साथ 104 उपग्रहों के परीक्षण से इसरो के वैज्ञानिकों का मनोबल ऊंचा हुआ है। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा करने का मकसद केवल रिकॉर्ड बनाना नहीं था, बल्कि सही मायने में यह राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाने वाला कदम है।

तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक के.सिवन ने कहा, “स्पष्ट कहा जाए, तो इसरो का मकसद कोई रिकॉर्ड बनाना नहीं था।” अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसी एक मिशन में प्रक्षेपित किए जाने वाले उपग्रहों की संख्या क्रिकेट के खेल में रन बनाने से नहीं की जा सकती।

वैज्ञानिकों का कहना है कि छोटे तथा कम वजन वाले रॉकेटों के कारण इतनी संख्या में एक साथ उपग्रहों का प्रक्षेपण संभव हो पाया। यह रॉकेट में उपलब्ध जगह तथा उसके वजन ढोने की क्षमता पर निर्भर करता है।

लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि रॉकेट में मौजूद जगह में छोटे-छोटे उपग्रहों को रखना तथा बिना एक-दूसरे से टकराए उन्हें उनकी कक्षा में भेजने के लिए अभियांत्रिकी नवाचारों की जरूरत होती है।

वैज्ञानिकों ने कहा, “यह इसरो के प्रक्षेपण यान दल की उपलब्धि है और काबिले तारीफ है।” सिवन ने कहा, “इसरो के प्रत्येक मिशन में विभिन्न प्रकार की चुनौतियां होती हैं और इन चुनौतियों से निपटने पर हमें आत्मविश्वास मिलता है।”

साल 2001 में एक मिशन में दो उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में भेजने की जरूरत थी। इसरो ने ऐसा पहले कभी नहीं किया था, लेकिन इसके वैज्ञानिकों ने चुनौती को स्वीकार किया और इसे साकार कर दिखाया।

उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह के मिशन में इसरो के इंजीनियरों के समक्ष 10 मिनट के अंदर सही समय व जगह पर रॉकेट से 101 छोटे उपग्रहों को छोडऩे की गंभीर चुनौती थी और इस सफल मिशन ने यह साबित कर दिया कि इसरो के वैज्ञानिक कठिन काम को करने में पूरी तरह सक्षम हैं।

इसरो में प्रोफेसर वाई.एस.राजन ने संवाददाता से टेलीफोन पर कहा, “इसरो ने एक साथ उपग्रहों के प्रक्षेपण का शतक लगाकर कमाल कर दिया और यह सभी अखबारों की सुर्खियां बनी।”

दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के निकट सहयोगी रह चुके राजन प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने इस ओर इशारा किया कि अखबारों में जो कुछ भी लिखा गया, उसके बारे में इसरो के अध्यक्ष ए.एस.किरण कुमार ने दावा नहीं किया।

वस्तुत: प्रक्षेपण के बाद अध्यक्ष ने संतुलित बयान देते हुए कहा था कि प्रक्षेपण का उद्देश्य कोई रिकॉर्ड बनाना नहीं था। इस मिशन के तहत भारत के तीन उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित किया गया।

उन्होंने कहा कि पीएसएलवी में विदेशों के अन्य 101 उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने की क्षमता है। इन उपग्रहों को ढोकर जो कमाई हुई है, वह पीएसएलवी के प्रक्षेपण खर्च का आधा है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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