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प्रादेशिक

पीओ की नौकरी छोड़ मंदाकिनी बना रही है वर्मी कंपोस्ट

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मधुबनी| एक ओर जहां महिलाएं इस दौर में गोबर से दूर हो रही हैं वहीं बिहार के मधुबनी जिले की एक लड़की ने न केवल गोबर को ही अपने रोजगार का साधन बना लिया है बल्कि करीब 50 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रही है।

मधुबनी जिले के मधवापुर प्रखंड के सुजातपुर गांव की एमबीए पास मंदाकिनी बैंक में पीओ की नौकरी छोड़ अपने ही गांव में गोबर, भूसी, जलकुंभी से बड़े पैमाने पर वर्मी कंपोस्ट तैयार कर रही हैं। आसपास के किसानों को इसके प्रयोग के लिए प्रेरित भी कर रही हैं।

वर्ष 2009 में आईबीएस, कोलकाता से एमबीए कर मंदाकिनी ने गांव में जब वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगाने का फैसला लिया, तब गांव वाले ने कहा था, “पढ़-लिखि के गोबर गींजत इ लड़की।” परंतु आज मंदाकिनी की इसी पहल ने इस गांव को चर्चित कर दिया है।

मंदाकिनी ने आईएएनएस को बताया कि वर्ष 2010 में मात्र नौ फीट गड्ढे में वर्मी कंपोस्ट तैयार किया था, जिसमें 100 से 150 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट तैयार हुआ था, लेकिन आज यहां 15 से 17 हजार क्विंटल वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है।

वह कहती हैं, “रासायनिक खाद के प्रयोग से जिले के कई खेत पहले जैसी उपज नहीं दे रहे हैं। इससे परागन करने वाले कीट-पतंग भी मरते जा रहे हैं इससे निजात पाने के लिए सिर्फ कंपोस्ट ही विकल्प है।”

मंदाकिनी का कहना है कि पढ़-लिखकर लोग नौकरी कर दूसरे के लिए और अपने लिए तो बहुत कुछ कर लेते हैं लेकिन अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ नहीं कर पाते। यही कारण है कि मैंने अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ करने की सोची।

इस काम में मदद कर रहे मंदाकिनी के पिता मणिभूषण कहते हैं कि शुरुआत से ही स्वरोजगार करने की जिद ने मंदाकिनाी को आज यहां तक पहुंचाया है। उन्होंने बताया आज कई जिले के लोग मंदाकिनी से इसकी जानकारी लेने यहां पहुंच रहे हैं।

मंदाकिनी बताती हैं कि प्रबंधन की पढ़ाई कर चुके समस्तीपुर निवासी विकास कुमार चौधरी का साथ भी उन्हें मिला। आज विकास इसकी मार्केटिंग में मदद कर रहे हैं और लोगों को जागरूक करने में भी साथ निभाते हैं।

गांव में तैयार वर्मी कंपोस्ट समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी और मुंगेर जिले के किसान ले जा रहे हैं। मंदाकिनी ने बताया कि घर-घर जाकर गोबर और रसोई से निकले कूड़े-कचरे को लाया जाता है और फिर बिना कोई रसायनिक पदार्थ के प्रयोग किए इससे वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाता है।

मंदाकिनी ने बताया कि इससे न केवल क्षेत्र को स्वच्छ रखने में मदद मिल रही है बल्कि खेत को उपजाऊ भी बनाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार वर्मी कंपोस्ट के लिए किसानों को जागरूक कर रही है, लेकिन जागरुकता लाने के लिए अधिक प्रयास की आवश्यकता होती है।

इधर, मधुबनी के सुजातपुर के किसान रामसेवक कहते हैं कि वर्ष 2010 में जब मंदाकिनी ने इस खाद के प्रयोग करने की बात कही थी तब हमलोगों को विश्वास नहीं हुआ था, लेकिन जब मंदाकिनी ने प्रयोग के तौर पर आलू के खेत में इस खाद का प्रयोग कर सबसे ज्यादा उत्पादन किया, तब हमलोगों को उनकी बात का विश्वास हुआ। आज पूरे गांव के किसान वर्मी कंपोस्ट का उपयोग कर रहे हैं।

अन्य राज्य

हेयर ड्रायर चालू करते ही ब्लास्ट, महिला का दोनों हाथ बुरी तरह घायल

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बागलकोट। कर्नाटक के बागलकोट जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक हेयर ड्रायर के धमाके में एक महिला के हाथों की हथेलियां और उंगलियां बुरी तरह से घायल हो गईं। यह हादसा इल्कल शहर में हुआ, जहां मृतक सैनिक की पत्नी ने अपने पड़ोसी का कूरियर पार्सल लिया था। जब महिला ने हेयर ड्रायर को चालू किया, तो वह धमाके से फट गया और महिला की दोनों हाथों की गंभीर चोटें आईं। महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों को मजबूरी में उसके हाथ काटने पड़े।

हेयर ड्रायर में धमका, महिला की उड़ी उंगलियां

बता दें कि इस घटना के बाद महिला को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना 15 नवंबर की है, जिसकी जानकारी बुधवार को सामने आई। पुलिस सूत्रों ने कहा कि घायल महिला की पहचान 37 वर्षीय बसवराजेश्वरी यरनाल के रूप में हुई है, जो पूर्व सैन्यकर्मी पापन्ना यरनाल की पत्नी थी। जिनकी 2017 में जम्मू और कश्मीर में मौत हो गई थी। जांच अधिकारियों के मुताबिक, विस्फोट बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ था। हेयर ड्रायर जैसे उपकरणों का उपयोग करने के लिए 2 वॉट के विद्युत कनेक्शन की आवश्यकता होती है। जिस स्विच में हेयर ड्रायर को डाला गया, तो उसकी क्षमता इतनी अधिक नहीं थी, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। विस्फोट की आवाज सुनकर कुछ पड़ोसी दौड़े और उन्होंने बसवराजेश्वरी की हथेलियां और उंगलियां कटी हुई पाईं। उन्हें तुरंत पास के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। हालांकि शशिकला ने दावा किया कि उन्होंने ऑनलाइन कोई उत्पाद नहीं मंगवाया था

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