प्रादेशिक
पूर्वोत्तर राज्यों के विशेष दर्जे पर टाल-मटोल कर रहे मोदी : माणिक
अगरतला | त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वोत्तर के सभी आठों राज्यों का विशेष दर्जा बनाए रखने के मुद्दे पर टाल-मटोल कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने मांग की कि उन राज्यों के विकास के लिए उनका दर्जा बनाए रखा जाए। सरकार ने बुधवार की रात नई दिल्ली से यहां लौटने के बाद संवाददाताओं से कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वोत्तर के सभी राज्यों का विशेष दर्जा बनाए रखने की आठ मुख्यमंत्रियों की मांग पर चुप्पी साधे हुए हैं।” वह मोदी से मिलने के बाद अगरतला पहुंचे थे।
विभिन्न कारणों से पूर्वोत्तर राज्यों से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने की आशंका जताते हुए उन्होंने मांग की कि जब तक ये विकासशील राज्य प्रधान भू-भाग वाले राज्यों के बराबर न आ जाएं तब तक उनका विशेष राज्य का दर्जा बनाए रखा जाए। इन राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम का नाम शामिल हैं। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री आठों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ संयुक्त बैठक के मुद्दे पर भी गोलमोल बात करते दिखे। हालांकि वह दिल्ली में नॉर्थ इस्टर्न काउंसिल की अगली बैठक में शामिल होने पर सहमत हो गए।”
17 साल से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे माणिक ने कहा, “केंद्र सरकार अगर हमें पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए धन उपलब्ध नहीं कराती है, तो हम पाकिस्तान और वाशिंगटन से तो पैसे मांग नहीं सकते।” इन सभी आठों उत्तर पूर्वी राज्यों में कांग्रेस, वाम मोर्चा या क्षेत्रीय पार्टियों की सरकार है। इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने 23 अप्रैल को एक ज्ञापन हस्ताक्षर कर प्रधानमंत्री मोदी को भेजा था। इस ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने पहाड़ी राज्यों का विशेष राज्य का दर्जा बनाए रखने का आग्रह किया था।
सरकार ने कहा, “कई आग्रह के बाद प्रधानमंत्री मोदी 16 जून को मिलने के लिए तैयार हुए, हालांकि मैं लगातार एक ही बात पर जोर दे रहा था कि इस अहम मुद्दे पर आठों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की जाए।” माणिक ने कहा कि बैठक के बारे में उन्होंने पूर्वोत्तर के सभी मुख्यमंत्रियों को सूचित कर दिया है। भारत में 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्ज दिया गया है। इनमें आठ राज्य पूर्वोत्तर के, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर और उत्तराखंड का नाम शामिल हैं।
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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।
कौन हैं IPS संजय वर्मा?
IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।
कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।
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