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पृथ्वी दिवस पर डूडल पर उतरा ‘नीला गृह’

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नई दिल्ली | सर्च इंजन गूगल ने बुधवार को पर्यावरण संरक्षण के समर्थन के प्रतीक पृथ्वी दिवस पर अपने होम पेज पर एक प्यारा सा डूडल बनाया, जिसने बिना कहे पूरी कहानी बयां कर दी। यह डूडल अपने आप में चर्चा का विषय है। पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है, जो हर साल दुनियाभर में 22 अप्रैल को मनाया जाता है।

दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने पृथ्वी दिवस को देखते हुए अपने होम पेज पर उकेरे जाने वाले छह वर्णो यानी ‘जी’, ‘ओ’, ‘ओ’, ‘जी’, ‘एल’, व ‘ई’ को पूरी तरह पर्यावरण के रंगों में रंग दिया। उसने अपने दूसरे ‘ओ’ के स्थान पर नीले गृह यानी पृथ्वी को दर्शाया। यही नहीं उसे अपनी धुरी पर लगातार घूमते भी दिखाया। इसके अलावा गूगल के बाकी वर्णो में अंतरिक्ष, वनस्पतियों व अन्य वन्य जीव-जंतुओं को उकेरा। उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल का पृथ्वी से सीधे-सीधे कोई लेना-देना नहीं है। जब पृथ्वी दिवस का विचार सामने आया, तो पृष्ठभूमि में विद्यार्थियों का एक राष्ट्रव्यापी आन्दोलन था। वियतनामी युद्ध विरोध में उठ खड़े हुए विद्यार्थियों का संघर्ष! 1969 में सान्ता बारबरा (कैलिफोर्निया) में बड़े पैमाने पर बिखरे तेल से आक्रोशित विद्यार्थियों को देखकर अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेलसन के दिमाग में ख्याल आया कि यदि इस आक्रोश को पर्यावरणीय सरोकारों की तरफ मोड़ दिया जाए, तो कैसा हो।

नेलसन, विसकोंसिन से अमेरिकी सीनेटर थे। उन्होंने इसे देश को पर्यावरण हेतु शिक्षित करने के मौके के रूप में लिया। उन्होंने इस विचार को मीडिया के सामने रखा। अमेरिकी कांग्रेस के पीटर मेकेडलस्की ने उनके साथ कार्यक्रम की सह-अध्यक्षता की। डेनिस हैयस को राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया गया। पृथ्वी दिवस का विचार देने वाले गेलॉर्ड नेलसन ने एक बयान में कहा था, “यह एक जुआ था, जो काम कर गया।” सचमुच ऐसा ही है। आज दुनिया के करीब 184 देशों के हजारों अंतर्राष्ट्रीय समूह इस दिवस के सन्देश को आगे ले जाने का काम कर रहे हैं।

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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