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नेशनल

पेड न्यूज मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई 7 सितंबर को

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नई दिल्ली/भोपाल, 28 अगस्त (आईएएनएस)| पेड न्यूज मामले में निर्वाचन आयोग द्वारा तीन साल तक के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराए गए मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई सात सितंबर को होगी। मिश्रा के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत करने वाले पूर्व विधायक राजेंद्र भारती के अधिवक्ता पी. बिसौरिया ने आईएएनएस को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ इस प्रकरण की सुनवाई कर रही है। सोमवार को सुनवाई थी, मगर मिश्रा के अधिवक्ता के न आने से सुनवाई की अगली तारीख सात सितंबर कर दी गई गई।

नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में खर्च का सही ब्यौरा न देने और पेड न्यूज प्रकाशित कराने की चुनाव आयोग से पराजित उम्मीदवार राजेंद्र भारती ने शिकायत की थी। इस मामले में आयोग ने आरोप प्रमाणित होने पर 23 जून 2017 को मिश्रा को तीन साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया था। बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले पर रोक लगा दी।

चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ मिश्रा ने ग्वालियर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जहां इस प्रकरण को जबलपुर उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया, क्योंकि एक याचिका जबलपुर में भी दायर की गई थी। इस पर भारती ने मिश्रा पर प्रॉक्सी पिटीशन (छद्म याचिका) दायर कराने के आरोप लगाते हुए मामले को अन्य न्यायालय में सुने जाने की अपील की। यह प्रकरण फिर दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के पास गया और उसने मिश्रा को राहत न देते हुए आयोग के फैसले को सही ठहराया।

इसके बाद मिश्रा ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय में युगलपीठ के जरिए मामले की सुनवाई के निर्देश देते हुए आयोग के फैसले के खिलाफ स्थगन दे दिया।

बिसौरिया के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर उच्च न्यायालय दिल्ली को दो सप्ताह में फैसला करना था, मगर अब सात सितंबर को सुनवाई होगी। मिश्रा के अधिवक्ता के न्यायालय न आने पर पीठ ने सख्त ऐतराज जताया।

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उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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