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WHAT! पैसों की तंगी की वजह से अधूरा रह गया था अक्षय का ये एक सपना…..

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नई दिल्ली| अक्षय कुमार को अपनी आगामी फिल्म ‘पैडमैन’ पर गर्व है। अभिनेता का कहना है कि वह हमेशा से सामाजिक रूप से प्रासंगिक सिनेमा का समर्थन करना चाहते थे, लेकिन पैसों की कमी के कारण वह ऐसा नहीं कर सके। अभिनेता ने कहा कि सैनिटरी पैड्स पर कोई भी व्यावसायिक फिल्म नहीं बनीं, यहां तक कि हॉलीवुड में भी नहीं, क्योंकि लोग सार्वजनिक रूप से इस विषय पर बातचीत करना पसंद नहीं करते।

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अक्षय सोमवार को ‘पैडमैन’ के प्रचार के लिए यहां पहुंचे। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा से इस तरह की फिल्म बनाना चाहता था, लेकिन तब मैं निर्माता नहीं था। मेरे पास पर्याप्त पैसा नहीं था, लेकिन अब मैं यह कर सकता हूं। मेरी पत्नी ने अरुणाचलम मुरुगनाथम के बारे में मुझे बताया और फिर हम आर. बाल्की से मिले और इस पर फिल्म बनाने के बारे में विचार किया।”

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उन्होंने कहा, “सैनिटरी पैड्स या मासिक धर्म स्वच्छता पर हॉलीवुड तक में कोई फिल्म नहीं है। लोग हमेशा वृत्तचित्र बनाते हैं लेकिन व्यवसायिक फिल्म बनाना नहीं चाहते क्योंकि वे इस मुद्दे से दूर रहना चाहते हैं। हमने ऐसा करने की कोशिश की है।”

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अरुणाचलम मुरुगनाथम भी इस संददाता सम्मेलन का हिस्सा बने और उन्होंने फिल्म पर अपने विचार साझा किए।

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उन्होंने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी जिंदगी और मेरे काम पर एक फिल्म बनेगी। जब मैं ‘माहवारी’ शब्द कहता, तो लोग मुझे मारने लगते थे किसने सोचा होगा कि एक समय होगा जब मेरे जीवन पर फिल्म बनेगी?”

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भारत में यह फिल्म शुक्रवार को रिलीज होगी।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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