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अन्तर्राष्ट्रीय

पौधों में भी होती है आत्मरक्षा की प्रवृत्ति

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न्यूयार्क| शाकाहारियों के लिए एक चेतावनी! यदि आप कोई शाकाहार लेने जा रहे हैं तो थोड़ा सावधान रहें, क्योंकि पौधे भी प्रतिक्रिया करते हैं। मिसौरी विश्वविद्यालय (एमयू) के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, पौधे उस ध्वनि को पहचानते हैं जो उनके चबाने के दौरान पैदा होती है, लिहाजा वे आसन्न खतरे के खिलाफ सावधान हो जाते हैं और आवश्यक प्रतिक्रिया करते हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया है कि इल्ली जब किसी पौधे को खाती है और उस दौरान जो ध्वनि पैदा करती है, उसपर पौधों ने प्रतिक्रिया की और अपनी रक्षा के उपाय किए।

‘डेली मेल’ की एक रपट के अनुसार, अध्ययन में कहा गया है कि इल्लियों ने जब पौधों को खाना शुरू किया तो पौधों ने अधिक मात्रा में सरसों का तेल उत्सर्जित किया, ताकि इल्लियां दूर भाग जाएं।

लेकिन इन्हीं पौधों ने हवा की ध्वनि के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं की, जबकि हवा से भी उसी तरह के ध्वनि प्रभाव पैदा हुए।

इस अध्ययन में इल्लियों को एराबिडोप्सिस नामक पौधे पर छोड़ा गया, जो बंदगोभी और सरसों की प्रजाति का फूलों वाला एक छोटा पौधा है। अब इल्लियों ने पौधे को चबाना शुरू किया और अनुसंधानकर्ताओं ने इसके जवाब में पौधे में पैदा हुई हरकत को एक लेजर के जरिए मापा।

शोध दल के प्रमुख रेक्स कोक्रॉफ्ट ने कहा है, “यह जानना रोचक है कि जब पौधे पर इल्ली की प्रतिक्रिया से पैदा होने वाली ध्वनि से मिलती-जुलती ध्वनि, जैसे हवा या किसी अन्य कीट की ध्वनि, पौधे के पास पैदा की गई तब पौधे ने कोई रक्षात्मक प्रतिक्रिया नहीं की।”

एमयू के वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक हीदी एपेल का कहना है कि इल्लियां पौधों की रासायनिक प्रतिक्रिया के बाद खुद को समेटना शुरू कर देती हैं। यानी इस तरह के कंपन के इस्तेमाल के जरिए पौधों का रक्षा कवच बढ़ाया जा सकता है और यह कृषि में उपयोगी हो सकता है।

हालांकि शोध दल अभी इस पर आगे काम करेगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पौधे इस कंपन को कैसे पहचानते हैं, किस प्रकार के कंपन संकेत उनके लिए महत्वपूर्ण हैं और पौधों के इस गुण का उपयोग कीटों के नियंत्रण में कैसे किया जा सकता है।

यह अध्ययन ‘ओएकोलोगिया’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

Priyanka trivedi
aajkikhabar.com/video

अन्तर्राष्ट्रीय

लाहौर में प्रदूषण ने तोड़े सारे रिकार्ड, 1900 तक पहुंचा AQI, स्कूल बंद

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नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान में प्रदूषण ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। पाकिस्तान के लाहौर शहर का AQI 1900 पहुंच गया है जो शहर में अब तक का सबसे ज्यादा एक्यूआई है। प्रांतीय सरकार और स्विस समूह IQAir द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को पाकिस्तान-भारत सीमा के पास अब तक का सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया। इसी के साथ लाहौर रविवार को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की रियल टाइम सूची में पहले नंबर पर पहुंच गया।

बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए लाहौर में आपातकाल जैसा माहौल है। वायु की खतरनाक गुणवत्ता को देखते हुए लाहौर प्रशासन ने वर्क फ्रॉम होम करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही विभिन्न शहरों में प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की घोषणा की गई है। वहीं पंजाब की वरिष्ठ मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा है कि, सरकार ने माता-पिता को यह सुनिश्चित करने की सलाह देते हुए प्राथमिक विद्यालयों को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया है कि बच्चे मास्क पहनें, क्योंकि शहर में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है। उन्होंने कहा कि वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए 50 प्रतिशत कार्यालय कर्मचारी घर से काम करेंगे।

मरियम औरंगजेब ने आगे कहा है कि पिछले एक सप्ताह से भारत से हवा की दिशा लाहौर की ओर हो गई है और इस वजह से धुंध बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हवाएं अमृतसर और चंडीगढ़ से आ रही हैं और इस वजह से लाहौर में AQI लगातार बिगड़ता जा रहा है।
मरियम ने कहा है कि अगर हालत और खराब हुए तो शहर में उद्योगों को बंद कर दिया जाएगा। यहां तक कि पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार किया जाएगा। कुछ इसी तरह की कार्रवाई भारत की हरियाणा और पंजाब सरकार भी कर रही है, जहां पराली जलाने को लेकर बड़ी संख्या में किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं।

 

 

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