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हेल्थ

प्यार के लिए वक्त नहीं तो आईयूआई अपनाएं

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नई दिल्ली| एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर सचिन राय (31) और कंपनी सचिव रूपाली राय (28) ने चार साल पहले शादी की। दो साल बाद उन्होंने अपना परिवार बढ़ाने के बारे में सोचा, लेकिन उन्हें लंबे समय तक इसमें सफलता नहीं मिली। फिर इनफर्टिलिटी उपचार कराने का फैसला किया। अब ‘आईयूआई’ के पहले प्रयास में रूपाली ने गर्भ धारण कर लिया। उन्हें तीन माह का गर्भ है। नेचर क्लीनिक की इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. अर्चना धवन बजाज कहती हैं, “वर्तमान में हम उच्च प्रतिस्पर्धा वाली दुनिया में रह रहे हैं। यहां उच्च शिक्षा की प्रतियोगिता, ऊंची रैंक, ऊंचा पद, बड़ा वेतन, समाज में ऊंचे रुतबे की प्रतियोगिता है.. और वास्तव में ऐसे ऊंचे स्टेटस को बनाए रखने के लिए हम मशीनी जीवन जीने लगे हैं, जहां हर कोई घड़ी के कांटांे की गति के साथ दौड़ रहा है, जहां प्यार करने के लिए युगलों के पास समय ही नहीं है। ऐसे मामलों में हम उन्हें आईयूआई की सलाह देते हैं।”

डॉ. अर्चना ने कहा, “जब मैंने रूपाली का नतीजा देखा तो मुझे कोई हैरानी नहीं हुई। वे दोनों पति-पत्नी नोएडा और गुड़गांव में ऊंचे पदों पर काम कर रहे थे। उपचार के पहले चरण में ही उनसे सकारात्मक परिणाम देखने को मिला और रूपाली अब तीन माह की गर्भवती हैं।”

इंट्रायूट्रिन इन्सेमिनेशन (आईयूआई) में तैयार शुक्राणु को अंडे के नजदीक पहुंचाने के उद्देश्य के साथ महिला के गर्भाशय (गर्भ) में डिंबक्षरण के समय स्थापित किया जाता है। यह सलाह कम शुक्राणु, हॉस्टाइल सर्विकल म्यूक्यूस और कुछ महिला संबंधी कारणों की स्थिति में दी जाती है।

महिला साथी द्वारा अंडे का उत्पादन और स्वस्थ/पेटेंट फेलोपिओन ट्यूब्स होना आवश्यक है। शुक्राणु को महिला के गर्भ अथवा गर्भाशय में (यूट्रिन इनसेमिनेशन) में डिंबक्षरण के बाद स्थापित किया जाता है। एक या एक से अधिक इनसेमिनेशन किए जा सकते हैं, उस वक्त जब अंडा छोड़ा जाता है। प्रति उपचार साइकल संख्या में गर्भधारण की दर 15-20 प्रतिशत होती है, यह महिला की उम्र व उपचार चक्र संख्या, इनफर्टिलिटी इत्यादि कारणों पर निर्भर करता है।

कुछ तथ्य :

* 10-20 प्रतिशत महिलाओं को ही अक्सर केवल एक आईयूआई चक्र में गर्भवती होने का मौका मिलता है।

* आईयूआई के अधिक चक्रों से गुजरने के साथ ही गर्भधारण के मौके बढ़ते जाते हैं। आईयूआई के 3 से 6 चक्र में गर्भवती होने की प्रतिशत दर 80 प्रतिशत तक हो सकती है।

 

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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

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नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.

एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.

डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।

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