प्रादेशिक
प्रणामी संप्रदाय की ‘गंगा’ का जल छूने लायक नहीं
भोपाल| मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में बहने वाली प्रणामी संप्रदाय की गंगा ‘किलकिला नदी’ नाले में तब्दील हो गई है। नदी के जल का आचमन तो छोड़िए, छूने लायक तक नहीं बचा है, और कीचड़मय पानी में सुअर लेट रहे हैं।
पन्ना जिले का छापर का जंगल किलकिला नदी का उद्गम स्थल है और यह नदी राष्ट्रीय उद्यान से होती हुई लगभग 45 किलोमीटर का रास्ता तय कर केन नदी में मिलती है। यह नदी देश और दुनिया में फैले प्रणामी संप्रदाय की ‘गंगा’ कही जाती है। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा को प्राणनाथ महोत्सव या अन्य मौके पर आने वाले प्रणामी संप्रदाय के लोग किलकिला नदी का जल बर्तन (पात्र) में अपने साथ ठीक उसी श्रद्घा और भाव से ले जाते है, जैसे सनातन संप्रदाय के लोग गंगा जल को लाते हैं।
किलकिला नदी को लेकर कई किंवदंतियां हैं। उनमें से एक है कि इस नदी का पानी इतना विषैला था कि पक्षी भी जब उसके ऊपर से गुजरते थे तो उनकी मौत हो जाती थी।
प्रणामी संप्रदाय की विदुषी रंजना दुबे ने आईएएनएस को बताया कि लगभग 400 वर्ष पूर्व महाराज ठाकुर जी अपने शिष्यों के साथ गुजर रहे थे। उन्होंने जब किलकिला नदी में स्नान करने का विचार बनाया तो वहां रहने वाले गौंड़ जाति के लोगों ने नदी के जल के विषैला होने की जानकारी दी और जल का उपयोग न करने की सलाह दी।
लेकिन ठाकुर जी जिन्हें प्राणनाथ भी कहा जाता है, उन्होंने अपने पैर का अंगूठे से पानी को स्पर्श किया और उसके बाद उनके शिष्यों ने नदी में स्नान भी किया। उसके बाद से पानी का स्वभाव ही बदल गया और प्राणनाथ यहीं बस गए।
प्राणनाथ का पन्ना में विशाल मंदिर है और उन्हें कृष्ण के बाल रूप में पूजा जाता है। मंदिर में मुरली और मुकुट की पूजा होती है। शरद पूर्णिमा पर इस मंदिर में विशेष समारोह होता है, जिसमें हिस्सा लेने देश-दुनिया से हजारों लोग पन्ना पहुंचते हैं।
विदुषी कृष्णा शर्मा का कहना है कि किलकिला नदी के जल का विशेष महत्व है, देश और दुनिया के विभिन्न स्थानों से आने वाले धर्मानुयायी जल को अपने साथ ले जाते हैं।
प्रणामी संप्रदाय के नंदकुमार शर्मा कहते है कि प्रणामियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है पन्ना। इसका महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रणामी संप्रदाय के व्यक्ति का अंतिम संस्कार कहीं भी हो, लेकिन उसके अवशेषों को नदी किनारे स्थित मुक्तिधाम में दफनाया जाता है।
राजस्थान के गंगानगर से अपने ससुर की अस्थियां दफनाने आए विजय प्रणामी ने बताया कि उनके लिए यह स्थान इलाहाबाद स्थित संगम के समान है।
प्रणामी संप्रदाय की गंगा ‘किलकिला नदी’ बदहाली के दौर से गुजर रही है। नदी का पानी कीचड़ में बदल चुका है, आज हालत यह है कि कोई भी व्यक्ति पानी को छूने का साहस तक नहीं कर पाता।
जल बिरादरी के प्रदेश संयोजक भगवान सिंह ने आईएएनएस को बताया है कि नदी को आमजनों के सहयोग से साफ-सुथरा और गंदगी मुक्त करने के प्रयास चल रहे हैं।
जल बिरादरी के प्रदेश सचिव डी. डी. तिवारी ने बताया है कि जन सहयोग से नदी में व्याप्त जलकुंभी हटाई गई है।
जल बिरादरी की पन्ना इकाई के अध्यक्ष बृजेंद्र सिंह बुंदेला का कहना है कि शहर के नाले इस नदी में मिलते है, यही कारण है कि नदी के पानी में सुअर नहा रहे हैं।
स्थानीय लोगों ने इस नदी की सूरत बदलने की ठानी है।
बुंदेला कहते हैं कि यह नदी जहां प्रणामी संप्रदाय की आस्था का केंद्र है, वहीं इससे पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के बफर जोन में वन्य प्राणियों की प्यास बुझती है।
नगर पालिकाध्यक्ष मोहन लाल कुशवाहा का कहना है कि नदी सफाई की योजना बनाई जा रही है, नदी में नाली के गंदे पानी को नहीं मिलने दिया जाएगा और पानी को साफ सुथरा रखने के लिए सभी के साथ मिलकर काम होगा।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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