आध्यात्म
प्रत्येक जीवात्मा में परमात्मा का नित्य निवास है
आत्मा बिच परमात्मा, करत निवास सदाय।
याते कहुँ कहुँ आत्मा, परमात्मा कहलाय।। 43।।
भावार्थ- प्रत्येक जीवात्मा में परमात्मा का नित्य निवास है। अतः वेदों शास्त्रों में यत्र-यत्र जीवात्मा को भी परमात्मा कह दिया गया है।
व्याख्या– वेद कहता है। यथा-
य आत्मनि तिष्ठति।
योऽक्षरे तिष्ठन् ।
वेदान्त भी कहता है। यथा-
अवस्थितेरिति काशकृत् स् नः। (ब्र. सू. 1-4-22)
अर्थात् परमात्मा सदा आत्मा में रहता है। आप कह सकते हैं कि परमात्मा तो अपने भक्तों के ही भीतर रहता है। सबके भीतर क्यों रहेगा? किंतु यदि परमात्मा, जीवों के भीतर न रहेगा तो जीव को चेतना कौन प्रदान करेगा? यथा वेद-
चेतनश्र्चेतनानाम्। (श्वेता 6-13)
फिर अनन्त जन्मों के संचित कर्मों का कुछ अंश प्रारब्ध रूप में जीवों को भोगवाने के लिये भी रहना पड़ता है। इतना ही नहीं वरन् प्रत्येक ब्रह्मांड के प्रत्येक देश के प्रत्येक प्रांत के पत्येक ग्राम के प्रत्येक कण-कण में स्थित प्रत्येक जीव के पत्येक संकल्प को नोट करने के लिये भी रहना अनिवार्य है। सर्वाधिक प्रमुख कारण तो यह है कि भगवान् का एक संविधान है। यथा-
अनन्याश्र्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते। (गीता 9-22)
सकृदेव प्रपन् नाय तवास्मीति च याचते।
अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं मम।।
(वा. रा. )
अर्थात् जिसे क्षण भी जीव मेरी शरण में आ जाता है उसी क्षण मुझे अनेकों कार्य एक साथ करने पड़ते हैं। यथा-
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः
(गीता 18-66)
अर्थात् शरणागत होते ही अनन्त संचित पाप पुण्य समाप्त करना। कर्मों की जननी माया को समाप्त करना। पंचकोष भस्म करना। त्रिगुण, त्रिदोष, पंचक्लेश समाप्त करना। एवं सदा सदा को उसका योगक्षेम वहन करना आदि। अतः यदि जीवात्मा में रहते हुये सदा सावधान न रहेगा तो शरणागत होते ही जीवों के उपर्युक्त कार्यों को कैसे करेगा? यह भगवान् सदा से जीव के साथ है। अतः वेद-
द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया समानं वृक्षं परिषस्वजाते।।
(श् वेता. 4-6)
एक कारण और है। वह यह कि जीव की इन्द्रिय मन बुद्धि में तत्तत्कर्म करने की शक्ति भी भगवान् ही देता है। अन्यथा ये सब तो जड़ हैं। अतः वेदान्त-
परात्तु तच्छुतेः। (ब्र. सू. 2-3-41)
एष ह्येव साधुकर्म कारयति तं यमेभ्यो लोकेभ्यो उन्नीनिषते।
एष ह्येवा साधुकर्म कारयति तंयमधो निनीषते।।
(श्रुति)
भ्रामयन् सर्वभूतानि यन् त्रारूढानि मायया। (गीता 18-61)
आध्यात्म
महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई
लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।
यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।
महापर्व 'छठ' पर हमरे ओर से आप सब माता-बहिन आ पूरा भोजपुरी समाज के लोगन के बहुत-बहुत मंगलकामना…
जय जय छठी मइया! pic.twitter.com/KR2lpcamdO
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 7, 2024
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