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प्रियंका की ‘संजीवनी’ से उप्र में जिंदा हो सकती है कांग्रेस!
लखनऊ, 25 जनवरी (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेता भले ही प्रियंका गांधी को राजनीतिक चुनौती नहीं मानते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में तीन दशक से राजनीतिक ‘वनवास’ झेल रही कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी एक ‘संजीवनी’ साबित हो सकती हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि किसी समय कांग्रेस का समर्थक रहा उच्च वर्ग का मतदाता एक बार फिर भाजपा से पलटी मार सकता है, और दलित, अन्य पिछड़े वर्ग के मतदाता भी कांग्रेस की तरफ लौट सकते हैं।
मुलायम सिंह यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके बुजुर्ग समाजवादी नेता और राजनीतिक विश्लेषक जमुना प्रसाद बोस (82) कहते हैं, “प्रियंका में इंदिरा गांधी की झलक है और वह युवाओं की पहली पसंद हैं। ऐसे में प्रियंका को कम आंकना हर किसी दल के लिए बड़ी भूल होगी। आम लोगों से मेल-मिलाप का जो तौर-तरीका प्रियंका में है, वह अखिलेश, डिंपल और राहुल में भी नहीं है। रही बात मतदाताओं की तो उच्च वर्ग, दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग कभी कांग्रेस के अंधभक्त हुआ करते थे। उच्च वर्ग अब भाजपा, दलित बसपा और अन्य पिछड़ा वर्ग एवं मुसलमान के सपा खेमे में चले जाने से यहां कांग्रेस बेहद कमजोर हुई है। लेकिन अब लगता है कि एक बार फिर कांग्रेस अपने परंपरागत मतदाताओं में पकड़ मतबूत कर सकती है।”
वह कहते हैं, “यह सच है कि दलित वर्ग के जाटव बसपा, और पिछड़ा वर्ग के यादव मतदाता सपा को तिलांजलि नहीं दे सकते। लेकिन कई दलित और पिछड़े खेमे की कौमें इन दोनों दलों से हताश हैं और वे कांग्रेस को अपना पुराना घर मान कर वापसी कर सकती हैं। सपा-बसपा का गठबंधन मुस्लिम मतों का विभाजन रोकने के लिए हुआ है, लेकिन अब प्रियंका के आने से इस वर्ग की भी स्थिति सांप-छछूंदर जैसी हो जाएगी।”
बोस आगे कहते हैं, “कुछ देर के लिए मान भी लिया जाए कि सपा-बसपा गठबंधन भाजपा को उत्तर प्रदेश में हराने की कूबत रखता है, तो भी केन्द्र में दोनों दल सरकार नहीं बना सकते। ऐसे में अल्पसंख्यक वर्ग दुविधा में रहेगा और गठबंधन के बजाय कांग्रेस उनकी पसंद हो सकती है।”
एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक रणवीर सिंह चौहान का मानना है कि प्रियंका की राजनीतिक सक्रियता चौंकाने वाली होगी और भाजपा, सपा व बसपा तीनों को नुकसान संभव है।
हालांकि केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने प्रियंका को चुनौती मानने से इंकार कर दिया है। उन्होंने गुरुवार को लखनऊ में कहा, “आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा 71 से ज्यादा सीटें जीतेगी।”
समाजवादी पार्टी (सपा) की प्रवक्ता जूही सिंह की भी ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस गठबंधन मतों में सेंधमारी कर पाएगी। उन्होंने हालांकि कहा, “महागठबंधन के भीतर किसी भी नकारात्मक परिणाम के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार माना जाएगा।”
उल्लेखनीय है कि कई दशक तक प्रदेश ही नहीं, देश में एकछत्र राज कर चुकी कांग्रेस पिछले तीन दशक से उत्तर प्रदेश में राजनीतिक ‘वनवास’ झेल रही है। पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव में वह सिर्फ दो सीटों (अमेठी, रायबरेली) और 2017 के विधानसभा चुनाव में सात सीटों तक सिमट गई। कांग्रेस का मत फीसद इतना गिरा कि 12 जनवरी को सपा और बसपा ने उसे अपने गठबंधन में जगह ही नहीं दिया।
बसपा प्रमुख मायावती के अनुसार, गठबंधन होने पर कांग्रेस का उच्च वर्ग का मत भाजपा की झोली में आसानी से चला जाता है, जिससे भाजपा स्वत: मजबूत हो जाती है।
सपा-बसपा गठबंधन में जगह न मिलने और ‘बैकफुट’ से ‘फ्रंटफुट’ का खेल खेलने के लिए आतुर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर जो राजनीतिक दांव चला है, वह प्रदेश की राजनीति में उलट-फेर कर सकता है।
हालांकि योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह नुकसान की संभावना को खारिज करते हैं। वह कहते हैं, “मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस को ब्राह्मण मत मिलेगा। उच्च जातियां बुद्धिजीवी हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को निर्णायक निर्णय लेते देखा है। इसके अलावा उच्च जातियों को अभी हाल ही में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है।”
राजनीतिक लिहाज से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहां लोकसभा की 80 सीटें हैं। पिछले 2014 के चुनाव में सपा-बसपा अलग-अलग थे, और तब भाजपा को 71 और उसकी सहयोगी अपना दल (एस) को दो सीटें मिली थीं। कांग्रेस को महज दो सीटें (अमेठी, रायबरेली), सपा को पांच और करीब साढ़े 22 फीसदी मत मिलने के बावजूद बसपा का खाता नहीं खुला था। लेकिन इस बार सपा-बसपा एकसाथ हैं।
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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया
दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।
वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।
यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।
फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।
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