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बंगाल : दुर्गापूजा उत्सव में भी राजनीति का घालमेल

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कोलकाता| प्रख्यात लेखिका ताप्ती गुहा ठाकुर्ता का कहना है कि पूर्वी भारत के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा को भी पिछले कुछ वर्षो से सत्ताधारी राज्य सरकार तृणमूल कांग्रेस ने अपने प्रचार का माध्यम बना लिया है।

गुहा ने हाल ही में अपनी नई किताब ‘इन द नेम ऑफ गोडेस : द दुर्गा पूजाज ऑफ कंटेपरेरी कोलाकाता’ का विमोचन किया।

गुहा की यह किताब इस उत्सव पर उनके एक दशक के शोध पर आधारित है जिसमें उन्होंने कला और प्रचार के साथ राजनीति के घालमेल की परंपरा का अध्ययन किया है।

आधुनिक भारत की कला और सांस्कृतिक इतिहास की विशेषज्ञ गुहा ठाकुर्ता ने आईएएनएस को बताया, “वे समारोह में स्पष्ट तौर पर राजनीति को ले आए हैं। ”

गुहा ने कहा कि राजनीतिक रंग पहले भी था, लेकिन पहले इसका इतना सीधा समावेश नहीं था।

सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में निदेशक और प्राध्यापक गुहा ने कहा, “यह पिछले कुछ वर्षो में ही हुआ है। आज इस उत्सव पर राजनीतिज्ञों का ही चेहरा छाया है। इस दल ने इस उत्सव पर अतिक्रमण कर लिया है।”

पांच दिनों के इस उत्सव का राजनीतिक रूप से कोई महत्व नहीं है, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री अवसर का पूरा लाभ उठाती हैं और उत्सवों के दौरान इससे जुड़े हर छोटे-बड़े उद्घाटन के लिए निकल पड़ती हैं।

पूजा की विशिष्ट साड़ियों के लिए नमूने डिजाइन करने से लेकर वृद्धाश्रमों की यात्रा और पूजा के दौरान बेहद प्रचार के साथ वृंदावन की विधवाओं से मुलाकात करती हैं। बनर्जी ने इस भव्य उत्सव को अपनी छाप दे दी है।

गुहा ने कहा कि इसके विपरीत वाम मोर्चा सरकार के शासन काल में धर्म और राजनीति के घालमेल की कोशिश नहीं की गई।

गुहा ने कहा, “आप अगर आज की राजनीति, अभियान या चुनाव के तौर तरीके पर नजर डालें तो आपको पूजा के पंडालों और माइकों के साथ इनमें काफी समानता नजर आएगी।”

अपनी किताब में कई उदाहरणों से गुहा ने दर्शाया है कि पूजा एक बड़े बजट के त्योहार में परिवर्तित हो चुकी है, जिसने राजनीति को भी काफी प्रभावित किया है।

गुहा ने कहा, “मां दुर्गा को उत्पादों, कला और कलाकृतियों के उत्पादन के लिए एक ब्रांड आइकन बना दिया गया है और उनके नाम पर काफी कुछ किया जाता है।”

गुहा ने कहा कि इस वर्ष सरस्वती पूजा और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन भी इसी तरह मनाया गया था।

मौलिक स्तर पर इस उत्सवी मौसम में कलाकार रोजगार के लिए कोशिशें करते हैं। गुहा ने कहा कि पूजा का एक रीति रिवाज से सार्वजनिक कला उद्यम में भी परिवर्तन होता है।

 

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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