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बनारसी युवाओं को रास नहीं आ रही स्किल डेवलपमेंट योजना!

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सैन होजे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी ऊर्जा सचिव से मुलाकात, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, ऊर्जा मंत्री अर्नेस्ट मोनिज

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विद्या शंकर राय

वाराणसी| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से तमाम जतन किए जा रहे हैं, लेकिन स्थानीय युवाओं को केंद्र की योजनाएं रास ही नहीं आ रही हैं। आलम यह है कि बनुकरों के लिए चलाई जा रही ई-बाजार योजना के बाद अब युवाओं को केंद्र में रखकर शुरू की गई ‘स्किल डेवलपमेंट योजना’ भी दम तोड़ती दिखाई दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे के दौरान डिग्रीधारकों के लिए चलाई जाने वाली स्किल डेवलपमेंट योजना का खूब बखान किया था। दावा यह था कि बनारस के बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगारपरक बनाया जाएगा।

दरअसल, युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए ही केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय ने बनारस में उप्र के पहले सैमसंग टेक्निकल इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी। मंत्रालय के कार्यालय कैंपस में खुले इस संस्थान में रोजगार देने की गारंटी भी दी गई। पिछले साल नवंबर महीने में इस संस्थान को खोला गया था। शुरुआत में तो सब ठीक-ठाक चला, लेकिन दो बैच के बाद अब यहां की 80 सीटों में से 25 सीट भरना भी काफी मुश्किल हो गया है।

बनारस में बने सैमसंग टेक्निकल इंस्टीट्यूट के आंकड़ों पर नजर डालें तो पहले बैच में 80 सीटों में से केवल 46 लोगों ने ही पंजीकरण कराकर हुनरमंद बनने का प्रशिक्षण लिया। हालांकि पहले बैच के सभी युवाओं को प्रशिक्षण के बाद प्लेसमेंट की सुविधा भी प्रदान कराई गई। दूसरे बैच में यह संख्या घटकर 42 पहुंच गई और इनमें से 33 लोग रोजगार पाने में सफल रहे। तीसरे में 28 लोगों ने प्रशिक्षण के लिए पंजीकरण कराया और इसमें से 17 लोगों को रोजगार मिल पाया। चौथे बैच में महज 17 लोगों ने पंजीकरण कराया है और फिलहाल उनका प्रशिक्षण चल रहा है।

मंत्रालय के अधिकारियों की तरफ से हालांकि दलील यह दी जा रही है कि इस योजना से युवाओं के न जुड़ने की खास वजह निर्धारित शैक्षिक योग्यता भी रही है। आईटीआई, डिप्लोमा धारक, बीटेक और बीएससी करने वाले युवाओं को ही यहां प्रशिक्षण दिया जाता है। इस नियम में अब तक दो बार बदलाव किया जा चुका है और अब इंटरमीडिएट पास युवाओं को भी प्रशिक्षण दिए जाने की शुरुआत की गई है।

अधिकारियों को उम्मीद है कि इससे आने वाले दिनों में संस्थान में प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं की संख्या में वृद्धि होगी। बनारस में मंत्रालय के स्थानीय डिप्टी डायरेक्टर आई.बी. सिंह के मुताबिक, इस योजना के तहत वर्षभर के भीतर 320 युवाओं को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 133 नौजवान ही प्रशिक्षण के लिए पहुंचे हैं। यह स्थिति तब है जब शैक्षिक योग्यता में दो बार बदलाव किया गया है। उम्मीद है कि आने वाले समय में युवाओं की संख्या बढ़ेगी।

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‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना से 82,120 बालिकाओं को खेल में निपुण बनाएगी योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में पढ़ने वाली 82,120 बालिकाओं की खेल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का प्रयास तेज कर दिया है। सरकार इस उद्देश्य को ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू कर साकार करेगी।

बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को विशेषज्ञ प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस योजना से बालिकाएं खेल में निपुण होने के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास भी प्राप्त करेंगी, जिससे वे समाज में एक सशक्त पहचान बना सकेंगी।

उत्तर प्रदेश के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में बालिकाओं की खेल प्रतिभा को निखारने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर उभारने के उद्देश्य से ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू की गई है। इस योजना का उद्देश्य पिछड़े और वंचित समुदायों की बालिकाओं को खेल के क्षेत्र में विशेष कौशल प्रदान करना है। इसके अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को खेल विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रत्येक जनपद के दो केजीबीवी में आरंभ की जाएगी और सफल होने पर इसे अन्य विद्यालयों में भी विस्तार दिया जाएगा।

राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है उद्देश्य इस योजना का मुख्य उद्देश्य केजीबीवी में अध्ययनरत 82,120 छात्राओं को खेलों में प्रशिक्षित कर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है। यह योजना छात्राओं को न केवल खेल किट और आधारभूत प्रशिक्षण प्रदान करेगी, बल्कि विभिन्न प्रतियोगिताओं में जनपद और राज्य स्तर पर चयनित करने की प्रक्रिया भी सुनिश्चित करेगी।

विद्यालय में खेल का चयन ऐसे होगा

प्रत्येक विद्यालय में एक खेल समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें वार्डन, व्यायाम शिक्षिका, खेल प्रभारी और दो खिलाड़ी छात्राएं होंगी। यह समिति छात्राओं की रुचि और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक खेल का चयन करेगी। चयनित खेल में प्रशिक्षण देने के लिए योग्य महिला प्रशिक्षक नियुक्त की जाएगी। आवश्यकतानुसार, बाहरी खेल प्रशिक्षकों की सहायता भी ली जा सकेगी।

विशेष प्रशिक्षण और स्वास्थ्य पर रहेगा विशेष ध्यान

योजना के अंतर्गत, खेल गतिविधियों के संचालन के लिए एक निर्धारित समय सारिणी होगी, जिसमें प्रशिक्षक छात्राओं को खेल की बारीकियां सिखाएंगे। बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें छात्राओं को आहार, पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण भी समय-समय पर किया जाएगा।

समाज और विभागीय सहयोग लिया जाएगा

पूर्व राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को भी बुलाकर छात्राओं को प्रेरित किया जाएगा। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं को स्थानीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जाएगा। इसके अलावा, विद्यालयों में खेल प्रतियोगिताओं के दौरान सम्मानित नागरिकों और विभागीय अधिकारियों को आमंत्रित कर छात्राओं का उत्साहवर्धन किया जाएगा।

खेल संघों और कॉर्पोरेट समूहों से भी लिया जाएगा सहयोग

योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर के खेल संघों के साथ कॉर्पोरेट समूहों से भी सहयोग लिया जाएगा। कॉर्पोरेट समूहों की मदद से छात्राओं के लिए आवश्यक खेल सामग्री और अन्य सुविधाएं बेहतर तरीके से उपलब्ध कराई जाएंगी।

बालिकाओं का विशेष स्थानांतरण और अभिभावकों की ली जाएगी सहमति

चयनित छात्राओं को विशेष खेल प्रशिक्षण देने के लिए तीन महीने तक नोडल केजीबीवी में रखा जाएगा। इस दौरान उनके रहने, खाने और प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था होगी। इसके बाद, छात्राओं को उनके मूल केजीबीवी में वापस भेज दिया जाएगा। छात्राओं के स्थानांतरण से पूर्व उनके अभिभावकों से सहमति ली जाएगी।

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