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बिजली से संबंधित प्रमुख मामलों की दोबारा होगी सुनवाई

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नई दिल्ली, 3 जून (आईएएनएस)| राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग प्रमुख के रूप में न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल की नियुक्ति से विधिक क्षेत्र के कई लोग बिजली शुल्क से संबंधित मामलों को लेकर असमंजस में हैं क्योंकि मामले की सुनवाई करने वाली जिस पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था उसमें वह भी शामिल थे।

न्यायमूर्ति अग्रवाल और न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर की पीठ ने बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस राजधानी और बीएसईएस यमुना की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

याचिका में बिजली वितरण कंपनियों ने सरकार द्वारा रेग्युलेटरी एसेट्स का बकाया चुकता करने के साथ-साथ बिजली आपूर्ति की लागत और बिजली शुल्क के अंतर को पूरा करने और बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को आपूर्ति बंद नहीं करने का निर्देश देने की मांग की है।

मामले में दिल्ली बिजली विनियामक आयोग (डीईआरसी), दिल्ली सरकार, बिजली उत्पादन करने वाली कंपनी एनटीपीसी, दामोदर वैली कॉरपोरेशन, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन, टीएचडीसी, एनएचपीसी और दिल्ली सरकारी की खुद की बिजली उत्पादन कंपनियां प्रतिवादी हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, जो फैसला नहीं सुनाया गया है उसके बारे में मैं क्या कह सकता हूं। मामला रेग्युलेटरी एसेट्स, शुल्क और अन्य मसलों से संबंधित है और अब इसमें दोबारा सुनवाई होगी।

मामले में बीएसईएस की ओर से सिब्बल के साथ पेश हुए पी. चिदंबरम ने कहा, मामले में दोबारा सुनवाई दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि जिन मसलों को तय करना है उनसे वितरण कंपनियां और उनकी आय पर दबाव पड़ रहा है।

वकील प्रशांत भूषण ने भी स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने आईएएनएस को बताया, ऐसी बातें पहले भी कई बार हो चुकी हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोई न्यायाधीश फैसला सुनाने से पहले सेवानिवृत हो जाता है।

19 फरवरी 2015 को दो बिजली वितरण कंपनियों की रिट याचिका पर आदेश सुरक्षित रखने के बाद न्यायमूर्ति चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा कि मसले से संबंधित सिविल अपील और अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई रिट याचिकाओं पर फैसला सुनाने के बाद होगी।

फैसले को सुरक्षित रखते हुए 19 फरवरी 2015 के आदेश में स्पष्टीकरण देते हुए यह बात 10 मार्च 2015 के आदेश में कही गई थी।

फैसला सुनाए जाने के बाद सुनवाई की जाने वाली याचिकाओं में नौ सिविल अपील शामिल हैं, जिनमें वर्ष 2010 और 2011 में एक-एक और 2014 में की गई सात अपील शामिल हैं।

इसके अलावा, पांच अवमानना याचिका हैं जिनमें एक 1999 में और तीन 2014 में और एक 2015 में दायर की गई थीं।

न्यायमूर्ति अग्रवाल के चार मई को सेवानिवृत होने के बाद मामले में फैसला दोबारा दूसरी पीठ द्वारा सुनवाई होने तक रूक गया है।

न्यायमूर्ति चेलमेश्वर भी 22 जून को शीर्ष अदालत से सेवानिवृत हो रहे हैं।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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