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बिहार चुनाव : 5 दल झेल रहे ‘अपनों’ की बगावत
मनोज पाठक
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल जहां अपने विरोधियों को परास्त करने की रणनीति बनाने में जुटे हैं, वहीं पांच प्रमुख राजनीतिक दल ‘अपनों’ की बगावत झेल रहे हैं। ये पांच दल हैं : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल (युनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम)। इन दलों में टिकट बंटवारे के बाद बगावत शुरू है।
इस बात की आशंका पूर्व में ही थी कि उम्मीदवारों की सूची जारी होते ही ऐसी स्थिति नजर आएगी। कहा जाता है कि यही वजह रही कि सत्तापक्ष वाले महागठबंधन ने पहले चरण के मतदान के लिए नामांकन-पत्र दाखिल करने के अंतिम दिन उम्मीदवारों की सूची जारी की।
भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल लोजपा और हम भी ‘अपनों’ की बगावत से परेशान हैं। भाजपा ने ब्रह्मपुरा से वर्तमान विधायक दिलमणि देवी का टिकट काट पार्टी के वरिष्ठ नेता सी़पी़ ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर को टिकट थमाया है। इसको लेकर क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं में रोष है। पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रमोहन राय व अवधेश नारायण सिंह भी टिकट बंटवारे से नाराज हैं। भाजपा प्रदेश कार्यालय के सामने चनपटिया, बगहा, लौरिया और नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने टिकट बंटवारे में भेदभाव का आरोप लगाते हुए गुरुवार को विरोध का अनोखा तरीका अपनाया था। भाजपा कार्यकर्ता गधों को साथ लेकर कार्यालय के सामने पहुंचे और विरोध प्रदर्शन किया।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय हालांकि कहते हैं कि टिकट को लेकर कोई विवाद नहीं है। टिकट तो क्षेत्र में किसी एक को ही मिलेगा, ऐसे में विरोध की बातें सामने आती ही हैं। लेकिन भाजपा के कार्यकर्ता अनुशासित हैं और चुनाव मैदान में एक होकर विपक्षियों को मात देने के लिए काम करेंगे। राजद में भी जगदीशपुर के निवर्तमान विधायक दिनेश कुमार सिंह टिकट कटने से खासे नाराज हैं। उन्होंने शाहाबाद में खुद नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, जबकि बड़हरा से राघवेंद्र प्रताप सिंह ने भी टिकट कटने के बाद बगावत का झंडा उठा लिया है। मोहिउद्दीन नगर के राजद विधायक अजय कुमार बुलगानिन ने जन अधिकार मोर्चा का दामन थाम लिया है।
इस चुनाव में राजद के दोस्त बने जद (यू) को भी अपनों के बागी होने के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है। इस चुनाव में जद (यू) ने 32 विधायकों के टिकट काटे हैं। कई ऐसे विधायक भी हैं, जो पहले ही पार्टी से बगावत कर चुके हैं। जद (यू) के विधायक और मंत्री रामधनी सिंह ने टिकट कटने से जहां समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थाम लिया है, वहीं रून्नीसैदपुर की विधायक गुड्डी चौधरी ने भी टिकट कटने के बाद पार्टी से बगाावत कर दी है। इधर, भाजपा के सांसद छेदी पासवान के पुत्र रवि पासवान ने भी अपने पिता से अलग राह चलने के लिए सपा की साइकिल थाम ली है।
राघोपुर के विधायक सतीश यादव ने भी भाजपा का ‘कमल’ थाम महागठबंधन के प्रत्याशी तेजस्वी यादव के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। लोजपा और हम में भी नाराजगी देखी जा रही है। लोजपा के सांसद रामा सिंह ने जहां टिकट बंटवारे से नाराज होकर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है, वहीं पार्टी अध्यक्ष रामविलास पासवान के दामाद अनिल कुमार साधु ने नाराजगी जाहिर करते हुए यहां तक कह दिया है कि लोजपा में पैसे लेकर टिकट बांटे गए हैं।
राजग में शामिल हम के प्रमुख जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी भी टिकट बंटवारे के बाद नाराज हैं। देवेंद्र कहते हैं कि वर्ष 1995 से ही वह राजनीति में हैं, फिर भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया। उन्होंने बोधगया विधानसभा क्षेत्र से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। इसके अलावा भी कई ऐसे ‘अपने’ हैं जो इस चुनाव में ‘अपनों’ के लिए ही परेशानी खड़ी कर रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में जद (यू), राजद और कांग्रेस महागठबंधन के तहत मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में लोजपा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और हम शामिल हैं। इनके अलावा सपा के नेतृत्व वाला तीसरा मोर्चा, छह कम्युनिस्ट पार्टियों का वाममोर्चा और सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी चुनावी रणभूमि में उतर चुकी है। राज्य विधानसभा की 243 सीटों के लिए 12 अक्टूबर से पांच नवंबर के बीच पांच चरणों में मतदान होना है। मतों की गिनती आठ नवंबर को होगी।
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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