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बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी, मरीज परेशान

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पटना, 25 मई (आईएएनएस)| पटना में मेडिकल छात्रों पर पीजी काउंसिलिंग के दौरान हुए लाठीचार्ज के विरोध में राज्य के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल गुरुवार को दूसरे दिन भी जारी है। जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के कारण बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है, जिससे मरीज परेशान हैं। गौरतलब है कि सोमवार को पीजी मैट की काउंसिलिंग के दौरान जूनियर डॉक्टर और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गई थी, जिसके बाद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया और पांच छात्रों को गिरफ्तार कर लिया। इसके विरोध में बुधवार से पीएमससीएच के करीब 450 जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए।

हड़ताल की वजह से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। इलाज के अभाव में पिछले 30 घंटे के दौरान केवल पीएमसीएच में 17 मरीजों की मौत हो गई। हालांकि अस्पताल प्रबंधन इलाज के अभाव में मौत की सूचना से साफ इनकार कर रहा है। प्रबंधन का कहना है कि मरने वाले मरीजों की स्थिति गंभीर थी, इस कारण उनकी मौत हुई है।

इधर, बुधवार को आपातकालीन वार्ड में एक भी ऑपरेशन नहीं हो सका। इतना ही नहीं सैकड़ों मरीजों को बिना इलाज के वापस लौटना पड़ा।

अस्पताल में बिगड़ते हालात को देखते हुए पीएमसीएच प्रशासन अब दूसरे जिलों से डॉक्टरों को बुलाने का दावा कर रहा है। पीएमसीएच के अधीक्षक लखींद्र प्रसाद ने बताया कि आपातकालीन सेवा के लिए अन्य जगहों से 25 से ज्यादा डॉक्टर पीएमसीएच पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने हड़ताल से निपटने के लिए अन्य जिलों से भी डॉक्टरों की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि आपातकालीन सेवा सामान्य तौर पर चल रही है।

इधर, पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ़ विनय कुमार ने कहा कि पीजी में नामांकन के लिए काउंसिलिंग के दौरान पुलिस ने मेडिकल छात्रों पर लाठी चार्ज कर दिया तथा पांच छात्रों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने कहा कि जब तक छात्रों को रिहा नहीं किया जाता है और दोषी पुलिसकर्मियों की खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है तब तक हड़ताल जारी रहेगी।

उन्होंने दावा किया कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 रुपये के बदले देना पड़ेगा 35,453 रुपये, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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