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बिहार में बाढ़ ही नहीं, सूखा भी!

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पटना, 3 सितंबर (आईएएनएस)| एक ओर जहां बिहार के 19 जिलों के लोग बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं, 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, वहीं शेष जिलों के किसान सामान्य बारिश नहीं होने के कारण परेशान हैं। यह विडंबना ही है कि एक तरफ राज्य सामान्य बारिश को तरस रहा है और कई जिलों में सूखे की स्थिति है, वहीं दूसरी ओर नेपाल में हो रही बारिश से यहां के कई जिले बाढ़ से तबाह हैं। वहां हो रही बारिश से बिहार की नदियां उफान पर हैं।

बिहार की शोक कही जाने वाली नदी कोसी के अलावा बागमती, बूढ़ी गंडक, ललबकिया, कमला बलान, भुतही बलान और नारायणी का जलग्रहण क्षेत्र नेपाल है। वहां बारिश से इन नदियों में लगभग हर साल बाढ़ आती है और भारी जानमाल का नुकसान होता है।

यही हाल जीवनदायिनी माने जाने वाली नदी गंगा की भी है। अगर मध्य प्रदेश में अधिक बारिश हुई, तो इसका प्रभाव बेतवा और चंबल नदी से होते हुए गंगा पर पड़ता है। इससे बिहार अछूता नहीं रहता।

वैसे आंकड़ों की बात करें, तो बिहार के सीमांचल क्षेत्र के जिलों के अलावा 38 में से आधे यानी 19 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। विडंबना है कि इनमें ऐसे जिले भी शामिल हैं, जहां सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। गोपालगंज जिले के छह प्रखंडों की 47 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हैं, लेकिन विडंबना है कि इस जिले में अब तक सामान्य से सात प्रतिशत कम बारिश हुई है।

गोपालगंज के किसान का कहना है कि इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि बाढ़ और सूखे की मार दोनों ही जिलों के लोगों को इस वर्ष झेलनी पड़ रही है।

वैसे कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पटना, अरवल, भोजपुर, मुंगेर, सीवान सहित कई ऐसे जिले हैं, जहां अभी तक सामान्य से 20 प्रतिशत से कम बारिश हुई है। मुंगेर व सीवान जिले में जहां सामान्य से 33 प्रतिशत कम बारिश हुई है, वहीं भोजपुर में सामान्य से 37 प्रतिशत कम बारिश हुई है। खगड़िया, लखीसराय, नालंदा, मुजफ्फरपुर, नवादा ऐसे जिले हैं, जहां बारिश का घाटा 10 प्रतिशत से अधिक है।

मौसम विज्ञान केंद्र का कहना है कि मानसून अभी सक्रिय है। सितंबर के पहले एक सप्ताह में अच्छी बारिश की संभावना है। इससे कुल बारिश का घाटा आने वाले दिनों में पूरा हो सकता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि जिन जिलों में बहुत कम बारिश हुई वहां बारिश होगी ही।

इधर, धान का कटोरा कहे जाने वाले भोजपुर में इस वर्ष अब तक सामान्य से 37 प्रतिशत कम बारिश हुई है। यहां के किसान मनोहर सिंह कहते हैं कि प्रारंभ में तो बारिश ठीक थी, परंतु बीच में मानसून ने दगा दे दिया। वैसे उनका कहना है कि कुछ धान तो हो ही जाएगा, परंतु अभी भी बारिश हो जाए, तब धान के उत्पादन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।

राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव कहते हैं कि बिहार में प्राकृतिक आपदा कोई नई बात नहीं है। बिहार के आधे जिले बाढ़ से तो कई जिले सुखे से प्रभावित होते रहे हैं। सरकार भी इसके लिए आवश्यक तैयारी करती है।

उन्होंने कहा कि बाढ़ राहत का कार्य युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है, अगर सुखाड़ की स्थिति भी उत्पन्न होती है, तो सरकार इसके लिए तैयार है।

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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की हार पर बोलीं कंगना रनौत, उनका वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था

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मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को मिली प्रचंड जीत ने विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में शामिल पार्टियों को चारों खाने चित कर दिया है। महाराष्ट्र में पार्टी की प्रचंड जीत पर बीजेपी की सांसद कंगना रनौत काफी खुश हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे की हार पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कंगना ने कहा कि महिलाओं का अपमान करने की वजह से उनका ये हश्र हुआ है। मुझे उनकी हार का अनुमान पहले से ही था।

कंगना रनौत ने कहा, “मुझे उद्धव ठाकरे की हार का अनुमान पहले ही था। जो लोग महिलाओं का अपमान करते हैं, वे राक्षस हैं और उनका भी वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था। वे हार गए, उन्होंने महिलाओं का अपमान किया। मेरा घर तोड़ दिया और मेरे खिलाफ अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया, इसलिए यह स्पष्ट है कि वे सही और गलत की समझ खो चुके हैं।

बता दें कि कंगना रनौत और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के बीच 2020 में तब कड़वाहट भरी झड़प हुई थी, जब तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के नेतृत्व वाली बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने उनके बांद्रा स्थित बंगले में कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया था। अपने बंगले में तोड़फोड़ की कार्रवाई से पहले रनौत ने यह भी कहा था कि उन्हें “मूवी माफिया” से ज्यादा मुंबई पुलिस से डर लगता है और उन्होंने महाराष्ट्र की राजधानी की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की थी।

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