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बिहार में मोदी के नाम और काम पर चुनाव लड़ेगी भाजपा

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पटना। केन्द्रीय मंत्री और बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनाव अभियान प्रभारी अनंत कुमार ने यहां मंगलवार को कहा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पार्टी का चेहरा होंगे। चुनाव अभियान प्रभारी नियुक्त किए जाने के बाद पहली बार बिहार पहुंचे अनंत कुमार ने पटना में पत्रकारों से कहा कि नीतीश और लालू जंगलराज के दु:स्वप्न हैं और जंगलराज को अगले चुनाव में बिहार की जनता नकारने वाली है।

केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत ने कहा कि नीतीश कुमार के शासन से जनता अब परेशान हो गई है। इस बार जनता नीतीश को नकार देगी और विकास को वोट देगी। उन्होंने कहा, “नरेन्द्र मोदी सुशासन और विकास का चेहरा हैं, जिसे बिहार की जनता अपनाने वाली है।” गौरतलब है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित करने की मांग कर चुके हैं।

अनंत कुमार के बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए जनता दल (युनाइटेड) के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि जो पार्टी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही है, वह चुनाव क्या लड़ेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री उम्मीदवार का चेहरा तय न कर अपने नेताओं को जाति पर राजनीति करने का मौका दे रही है। उल्लेखनीय है कि राजग में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष रामविलास पासवान तथा हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी पहले ही कह चुके हैं कि बड़ी पार्टी होने के नाते मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भाजपा तय करेगी।

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हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी

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सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे  पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी

हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।

एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब

काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.

केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल

चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.

टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी

टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…

एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट

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