नेशनल
बिहार में 70 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में
पटना, 16 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार के सीमांचल क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। राज्य सरकार बचाव एवं राहत कार्य का दावा कर रही है, लेकिन कई क्षेत्रों में अब तक राहत कार्य नहीं पहुंचने की शिकायत मिल रही है। इस बीच राज्य की प्रमुख नदियां बुधवार को भी कई जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। राज्य के 13 जिलों के 98 प्रखंडों के करीब 70 लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में है। आपदा नियंत्रण कक्ष के अनुसार, राज्य के पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, कटिहार, मधेपुरा, सुपौल, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर और मुजफ्फरपुर जिले के 98 प्रखंड की 1,070 ग्राम पंचायतों की 70 लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है।
पटना स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, बिहार की कई प्रमुख नदियां अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। हालांकि राहत वाली बात यह है कि कोसी और गंडक के जलस्तर में कमी देखी जा रही है।
नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता शेषनाथ सिंह ने बुधवार को आईएएनएस को बताया कि सुबह आठ बजे वीरपुर बैराज में कोसी नदी का जलस्तर 1़66 लाख क्यूसेक दर्ज किया गया था, जो 10 बजे घटकर 1़64 लाख क्यूसेक हो गया। वाल्मीकिनगर बैराज में गंडक का जलस्तर सुबह 10 बजे 1़66 लाख क्यूसेक दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि दोनों नदियों के जलस्तर में कमी की संभावना है।
इधर, बागमती नदी डूबाधार, चंदौली, सोनाखान, ढेंग और बेनीबाद में, जबकि कमला बलान नदी झंझारपुर और जानकीबियर क्षेत्र में खतरे के निशान को पार कर गई है। अधवारा समूह की नदियां भी कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। महानंदा ढेंगराघाट और झाबा में लाल निशान के ऊपर बह रही है।
इस बीच, बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। उनके साथ उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी होंगे।
बाढ़ के कारण कई प्रखंडों का सड़क सपंर्क जिला मुख्यालयों से कट गया है। सड़कों पर बाढ़ का पानी बह रहा है।
आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक राज्यभर के बाढ़ प्रभावित इलाकों में 343 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं, जिनमें 93 हजार से ज्यादा बाढ़ पीड़ित शरण लिए हुए हैं और करीब ढाई लाख लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। बाढ़ की चपेट में आने से अब तक 56 लोगों की मौत हो चुकी है।
विभाग के एक अधिकारी ने दावा किया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य युद्घस्तर पर चलाए जा रहे हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि बाढ़ का पानी नए इलाकों में भी फैल रहा है। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों की मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ ) और सेना के जवानों को लगाया गया है।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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