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नेशनल

बीटिंग रिट्रीट : रंगारंग समारोह के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

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नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)| राष्ट्रीय राजधानी के विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट समारोह में देश की सैन्य शक्ति व सांस्कृतिक विरासत के शानदार समन्वय के प्रदर्शन के साथ 69वें गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हो गया।

कार्यक्रम में जहां सैन्य और पुलिस के बैंड की बीट की गूंज थी वहीं सितार और बांसुरी जैसे पारंपरिक भारतीय वाद्य यंत्रों से निकलने वाली संगीत लहरियां राजपथ को भारतीय गीत-संगीत से गुंजायमान किए हुए थीं। ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ की धुन के साथ समारोह का समापन हुआ।

सेना, नौसेना, वायु सेना व पुलिस बलों के बैंड ने दो दर्जन धुनों से सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा।

सेना व पुलिस बलों के बैंड ने ड्रम, बैगपाइपर, पाइप व अन्य वाद्ययंत्र बजाते हुए मार्च निकाला, जबकि नार्थ और साउथ ब्लाक के ऊपरी हिस्से में संगातकारों के समूह सितार, शहनाई, तबला जैसे पारंपरिक वाद्य के साथ अपनी कला का नजारा पेश करते दिखे।

तीनों सेना व सशस्त्र पुलिस बलों द्वारा समारोह में कुल 26 धुनें बजाई गईं जिनमें से 25 को भारतीयों ने संगीतबद्ध किया था और केवल एक पश्चिमी धुन बजाई गई। इस बार दिल्ली पुलिस के बैंड ने भी प्रस्तुति दी।

बीटिंग द र्रिटीट सदियों पुरानी उस परंपरा की याद में मनाया जाता है जब सेनाएं दिन भर के युद्ध के बाद अपनी बैरक में लौटती थीं और बिगुल बजाकर इसका ऐलान किया जाता था।

लेकिन, राजपथ पर आज जिस तरह से बिटिंग रिट्रीट समारोह होता है, इसकी जड़ें 1950 के दशक के शुरुआती दिनों में पड़ी थीं जब भारतीय सेना के मेजर राबर्ट्स ने बैंड की प्रस्तुतियों के साथ इस अनूठे समारोह की शुरुआत की थी।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी इस समारोह में राष्ट्रपति की बग्घी पर बैठकर आते थे। लेकिन, मौजूदा राष्ट्रपति समारोह में राष्ट्रपति के आधिकारिक वाहन मर्सिडीज बेंज लिमोजिन में बैठकर पहुंचे।

समारोह में राष्ट्रपति के साथ सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी.एस.धनोआ विराजमान थे।

इनके बिल्कुल पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू बैठे थे। इनके साथ रक्षा निर्मला सीतारमण भी थीं। मोदी बैंड की धुन पर उंगलियों की थाप देते देखे गए।

जो धुनें बजाई गईं, उनमें ‘वैष्णव जन’, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ और ‘वंदे मातरम’ भी शामिल थीं। समारोह का समापन लोकप्रिय तराने ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा’ के साथ हुआ।

समारोह के समापन के साथ शाम ढल गई और इसी के साथ राष्ट्रपति भवन, नार्थ और साउथ ब्लाक और संसद भवन रोशनी से जगमगा उठे।

समारोह के समापन के बाद प्रधानमंत्री मोदी लोगों के साथ पिक्चर और सेल्फी लेते देखे गए।

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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार देगा डोमिनिका, कोरोना के समय भेजी थी 70 हजार वैक्सीन

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डोमिनिका। कैरेबियाई देश डोमिनिका भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार- ‘डोमिनिका अवॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित करेगा। भारतीय प्रधानमंत्री को कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका की मदद करने के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है।भारत ने फरवरी 2021 में डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के 70 हजार डोज भेजे थे। यह वैक्सीन डोमिनिका और उसके पड़ोसी अन्य कैरेबियाई देशों के काम आई थी। भारतीय प्रधानमंत्री के डोमिनिका के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सहयोग के लिए यह अवॉर्ड दिया जा रहा है।

डोमिनिका के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन भारत-कैरिबियन समुदाय (कैरिकॉम) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी को डोमिनिका सम्मान से सम्मानित करेंगी। डोमिनिका के पीएम ऑफिस के आधिकारिक बयान में कहा गया, “फरवरी 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 70,000 खुराकें उपलब्ध कराईं। एक उदार उपहार जिसने डोमिनिका को अपने कैरेबियाई पड़ोसियों को सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाया।” इसमें कहा गया कि यह पुरस्कार पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन को मान्यता देता है।

बयान में कहा गया कि पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए पुरस्कार की पेशकश स्वीकार की। इसके मुताबिक पीएम मोदी ने इन मुद्दों को हल करने में डोमिनिका और कैरिबियन के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। ये सम्मान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता का प्रतिबिंब हैं, जिसने वैश्विक मंच पर भारत के उदय को मजबूत किया है। यह दुनिया भर के देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को भी दर्शातें हैं।

 

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